लाल बहादुर शास्त्री जीवन परिचय, निबंध व इतिहास, जन्म,विवाह,संघर्ष,मृत्यु, विचार, Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi
लाल बहादुर शास्त्री जिनका का मौत रहस्य बनकर रूस के राजधानी में दफन हो गया. जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे.1966 में मृत्यु के बाद भारत में पहली बार भारत रत्न से किसी को सम्मनित गया वे हैं लाल बहादुर शास्त्री जी. और इन्हे नेताजी के मृत्यु के बाद 9 जून 1964 को भारत के दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया. 1965 मैं उन्होंने भारत और पाकिस्तान के युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व क्या था।
लाल बहादुर शास्त्री जीवन परिचय (Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi)
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म और प्रारम्भिक जीवन (Lal Bahadur shastri Birth and early life)
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1942 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में एक कायस्थ परिवार में इनका जन्म हुआ था. इनके पिता जी का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था, उनके पिता प्राथमिक विद्यालय के टीचर थे शेर कुछ समय बाद उन्होंने राजस्व विभाग में क्लार्क की नौकरी कर ली थी. वहां के लोग उनके पिताजी को मुंशी कह कर पुकारा करते थे, उनके माता जी का नाम रामदुलारी था, और वह एक गृहिणी थी. परिवार में सबसे छोटे होने के कारण परिवार के सदस्य इन्हें लोग नन्हे कहकर संबोधित करते थे. दुर्भाग्यवश कुछ दिन बाद इनके पिता जी का निधन हो गया, उस समय लाल बहादुर शास्त्री मात्र 18 महीना का था.
लाल बहादुर शास्त्री की मां उन्हें लेकर अपने मायके मिर्जापुर चली गई, जहां उनके नाना जी हजारीलाल भी रहते थे. कुछ दिन बाद उनके नाना जी भीदेहांत हो गया. बिना बाप के बच्चे नन्हे को पालन पोषण करने के लिए उनके मौसा रघुनाथ प्रसाद ने उनकी मां को बहुत सहयोग किया.
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लाल बहादुर शास्त्री का शिक्षा (Lal Bahadur Shastri Education)
लाल बहादुर शास्त्री ने अपने ननिहाल में रहकर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षा प्राप्त की. और आगे की शिक्षा ग्रहण की उन्होंने हरिश्चंद्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ से की. उन्होंने संस्कृत भाषा में स्नातक की डिग्री प्राप्त है, और काशी विद्यापीठ से उन्हें तत्त्वज्ञान और शास्त्री की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद से उन्होंने श्रीवास्तव को हटाकर शास्त्री का टाइटन लगाने लगे, और फिर लोग इन्हे है शास्त्री के नाम से जानने लगे
लाल बहादुर शास्त्री का विवाह (Lal Bahadur Shastri Marriage)
लाल बहादुर शास्त्री जी का विवाह 1928 में मिर्जापुर के रहने वाले गणेश प्रसाद की पुत्री ललिता से हुआ. दहेज के नाम पर उन्हें एक चरखा और एक कपड़ा दिया गया था. शास्त्री जी और ललिता जी को कुल 6 संताने हुई, उनमें से दो पुत्रियां कुसुम, सुमन और चार पुत्र हरीकृष्ण, अनिल, सुनील, अशोक. शास्त्री जी का एक बेटा जो कि कांग्रेस पार्टी के नेता है और एक सुनील शास्त्री भारतीय जनता पार्टी के नेता है.
लाल बहादुर शास्त्री की आजादी के लिए संगर्ष
लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत भाषा में स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारत के सेवक संघ में जुड़ गए और देश सेवा करने लगे, और यहीं से उनका राजनीतिक जीवन का आरंभ होता है. पहली बार अपने गुरु निस कामेश्वर प्रसाद मिश्रा की देशभक्ति से प्रभावित हुए तब से वे भारत आंदोलनों में भाग लेने लगे. भारत बड़े वाले स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रम और आंदोलनों में उनकी सबसे बड़ी भागीदारी रही और इस कार्य में उन्हें कई बार जेलों में भी रहना पड़ा जिन आंदोलनों में का महत्व पूर्ण सहयोग रही उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 दांडी यात्रा, 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन है.
असहयोग आंदोलन
1921 मेंलाल बहादुर शास्त्री ने कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने हाई स्कूल में गांधी जी का भाषण सुने थे. हम से प्रभावित होकर उन्होंने असहयोग आंदोलन मैं भाग लिए
दांडी यात्रा आंदोलन
1930 में लाल बहादुर शास्त्री दंडी यात्रा में उन्होंने जगह-जगह जाकर लोगों को अंग्रेजों को टैक्स ना देने और अपने हक के लिए लड़ाई लड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करते थे
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भारत छोड़ो आंदोलन
1942 में छोड़ो आंदोलन में लाल बहादुर शास्त्री ने का महत्वपूर्ण भूमिका था इसीलिए ब्रिटिश सरकार के पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया
लाल बहादुर शास्त्री का हरित क्रांति और स्वेत क्रांति में भी बहुत बड़ा योगदान रहा था.
दूसरी विश्व युद्ध में इंग्लैंड को बुरी तरह से जूझता देख, सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज को दिल्ली चलो का नारा दीया. 8 इस मौके का फायदा उठाते हुए महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 की रात में ही मुंबई से अंग्रेजों को ‘भारत छोड़ो’ और भारतीय लोगों को ‘करो और मरो’ का आदेश दिए. और फिर उन्होंने सरकारी सुरक्षा के लिए और यरवदा पुणे में स्थित यारा खान पैलेस में चले गए. शास्त्री जी ने 8 अगस्त 1942 के दिन वाह इलाहाबाद आगे, और उन्होंने महात्मा गांधी के नारे “करो और मरो” को बहुत ही चालाकी से ‘मरो नहीं, मारो’ मैं बदल दिया इससे पूरे देश के लोग प्रचंड रूप धारण करें और यही आंदोलन 11 दिनों तक चली बाद में 19 अगस्त 1942 को शास्त्री जी को अंग्रेजी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
लाल बहादुर शास्त्री राजनीतिक जीवन (Lal Bahadur Shastri Political life)
1956 में लाल बहादुर शास्त्री जी को आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के पुलिस मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था. जिसमें उनके द्वारा किए गए काम को देखते हुए, उन्हे रेल मंत्री का कार्यभार सौंपा गया. जब लाल बहादुर शास्त्री रेल मंत्री से तब तमिलनाडु में एक रेल हादसा हुआ था, और वे इस रेल हादसे मैं कहीं ना कहीं खुद को जिम्मेदार मानते थे. और इस वजह से उन्होंने अपने पोस्ट से इस्तीफा दे दिया. 1957 मैं उन्हें कॉमर्स और इंडस्ट्री का मंत्रालय सौंपा गया. फिर 1961 में उन्हें गृह मंत्री बना दिया गया.
लाल बहादुर शास्त्री परधानमंत्री के रूप में
1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरु की आकस्मिक मृत्यु के बाद में हैं परधानमंत्उरी के रूप में नकी साफ सुथरा छवि के कारण ने प्रधानमंत्री बना दिया गया. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने प्रथम संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्राथमिक खदान मूल्यों को पढ़ने से रोकना है और इस कार्य को करने में वह सफल रहे. इनका कार्यकाल सैद्धांतिक ना होकर पूर्णता जनता की आवश्यकता के अनुरूप था. पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल की तुलना में इनका कार्यकाल बहुत कठिन रहा. और दुश्मन देश हमेशा हमारे देश पर आक्रमण करने की साजिश करते रहता था.
1965 में अचानक पाकिस्तान ने शाम 7:30 बजे हवाई जहाज से हमला कर दिया. राष्ट्रपति ने आपातकालीन बैठक बुलाया जिसमें तीन रक्षा मंत्री मंडल के सदस्य शामिल थे जिसमें रक्षा मंत्र मंत्री मंडल के सदस्य ने पूछा सर क्या आदेश है. शास्त्री जी ने उत्तर दिया “आप देश की रक्षा कीजिए और हमें बताइए क्या करना चाहिए हमको”. और शास्त्री जी ने इस युद्ध में बहुत अच्छी तरह से नेतृत्व किया और जय जवान जय किसान का नारा दिया जिसमें भारतीय जनता का मनोबल बड़ा और सारे देश एकत्र हो गया.
6 सितंबर को भारत और पाकिस्तान के युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध का अनुभवी मेजर जनरल प्रसाद की नेतृत्व में हुआ था, जिसने भारतीय सैनिक में डटकर मुकाबला किया और इच्छोगिल नहर जो कि भारत और पाकिस्तान सीमा है, उसे पार कर लाहौर के हवाई अड्डे पर हमला कर दें और भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के लाहौर तक कब्जा कर लिया. USA ने भारत पर इंटरनेशनल ही दबाव बनाने लगा और उन्होंने कहा कि PL4के तहत भारत को जो गेहूं अनाज दिया जाता है उसे हम बंद कर देंगे. लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि क्या हम भारतीय लोग कुछ पल भूखे रह सकते पर घुटना नहीं टेकेंगे.
लाल बहादुर शास्त्री का निधन (Lal Bahadur Shastri death
लाल बहादुर शास्त्री जी को रूस और अमेरिका के दबाव में अकड़ उन्हें शांति समझौता पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया. जहां उन्होंने पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से रूस की राजधानी ताशकंद में मिले थे. कहा जाता है कि शांति समझौता पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटे बाद 11 जनवरी 1966 को उनका मृत्यु हो गया, उस समय के अनुसार उस वक्त उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. लाल बहादुर शास्त्री का पोस्टमार्टम नहीं किया गया था. इसलिए कुछ लोग बोलते हैं उनका मृत्यु एक साजिश था. जोकि रूस के ताशकंद के आबोहवा में यह राज दावा है. लाल बहादुर शास्त्री जीने मात्र डेढ़ साल भारत के प्रधानमंत्री रहे, उनकी मृत्यु के बाद भारत के प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदन को नियुक्त किया गया. लाल बहादुर शास्त्री जी का अंत्येष्टि यमुना नदी के किनारे की गई और उस स्थान का नाम विजय घाट रखा गया
शास्त्री जी के मृत्यु को लेकर तरह-तरह के बातें सामने आती है. उनके परिवार वालों का कहना है कि श्रीवास्तव जी का मृत्यु दिल की दौड़ा पड़ने से नहीं बल्कि जहर की वजह से हुई है.
लाला बहादुर शास्त्री की मिरतु की जाँच
शास्त्री जी की पहली इंक्वायरी राजनारायण करवाई थी जिसका कोई निर्णय नहीं निकला. चौक आने की बात यह है किइण्डियन पार्लियामेण्ट्री लाइब्रेरी मैं आज उनका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है, 2009 में यह सवाल उठाया गया तब भारत सरकार ने जवाब दिया जी का एक पर्सनल डॉक्टर आर०एन०चुघ और रूस के कुछ डॉक्टरों ने उनकी बॉडी को चेक किया था बट एनी लेकिन सरकार के पास उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है
2009में जब CIA’s Eye on South Asia नामक पुस्तक के लेखक ने अनुज धर ने शास्त्री जी की मृत्यु की जानकारी मांगी तो प्रधानमंत्री कार्यालय से यह कहा गया कि शास्त्री जी के मृत्यु का दस्तावेज हमारे देश के अंतरराष्ट्रीय संबंध को खराब कर सकता है तो सर इस रहस्य पर पर्दा उठाते हैं देश में उथल पुथल मैच जाए गा. इसलिए इस सवाल जवाब नहीं पता.
1978 में उनकी पत्नी ललिता जी एक किताब (ललिता की आंसू) लिखी थी, जिसमे उन्होंने शास्त्री जी की मृत्यु के बारे में कही थी. कुलदीप नैयर जोगी शास्त्री जी के साथ रूस के राजधानी ताशकंद गए थे और उन्होंने कई सबूत हाईकोर्ट में दिखाएं पर उसका कोई उचित निर्णय नहीं हुआ.
2012 में उनके पुत्र सुनील शास्त्री ने भी अपील किया पर इस समय भी इसका कोई निर्णय नहीं हुआ
ललिता आफ्टर शास्त्री किताब(Lalita after Shastri book) यह किताब लाल बहादुर शास्त्री की धर्मपत्नी ललिता शास्त्री पर लिखी गई है और इसका लेखक संजय तिवारी हैं.
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