
Sofiya Qureshi Biography: भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी आज एक नई ऊंचाई पर है, और इस बदलाव की प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी। एक ऐसा नाम जिसने न सिर्फ देश की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि महिलाओं के लिए भी एक नई राह दिखाई। वह भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने किसी अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व किया। उनकी कहानी साहस, समर्पण और सेवा की अद्भुत मिसाल है।
ऑपरेशन सिंदूर (Opretion Sindoor) में सोफिया कुरैशी (Sofiya Qureshi) की एक महत्वपूर्ण भूमिका 7 मई 2025 को भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के खिलाफ की गई बड़ी कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने एक प्रमुख भूमिका निभाई। सिग्नल कोर की अधिकारी होने के नाते उन्होंने ऑपरेशन के दौरान संचार और रणनीतिक समन्वय में योगदान दिया। इसके अलावा, सेना की ओर से मीडिया को जानकारी देने के लिए उन्हें प्रेस ब्रीफिंग में प्रमुख प्रतिनिधि के रूप में चुना गया, जिससे वह इस ऐतिहासिक मिशन में महिला नेतृत्व की पहचान बन गईं।
सोफिया कुरैशी का जीवनी परिचय | Sofiya Qureshi Biography in Hindi
पूरा नाम | सोफिया कुरैशी |
जन्म वर्ष | 1981 |
उम्र (2025 के अनुसार) | 44 वर्ष |
जन्म स्थान | वडोदरा, गुजरात, भारत |
धर्म | इस्लाम |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
कद (लगभग) | 5 फीट 6 इंच (167 सेमी) |
शिक्षा | बीएससी (रसायन शास्त्र), एमएससी (बायोकैमिस्ट्री) |
विश्वविद्यालय | महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा (MSU) |
प्रारंभिक करियर | असिस्टेंट लेक्चरर और पीएचडी छात्रा |
सेना में प्रवेश | 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA), चेन्नई से |
सेवा शाखा | भारतीय सेना – सिग्नल कोर |
वर्तमान रैंक | लेफ्टिनेंट कर्नल (2025 तक) |
पति | मेजर ताजुद्दीन कुरैशी (मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री) |
पुत्र | समीर कुरैशी |
प्रमुख मिशन | – ऑपरेशन पराक्रम- कांगो में UN शांति मिशन- ऑपरेशन सिंदूर |
ऐतिहासिक उपलब्धि | 2016 में ‘Exercise Force 18’ में भारतीय सैन्य दल की पहली महिला कमांडर |
पुरस्कार और सम्मान | – कई आर्मी कमेंडेशन कार्ड- GOC-in-C प्रशंसा- SO-in-C प्रशंसा |
प्रेरणा स्रोत | युवा महिलाओं के लिए सेना में करियर बनाने की प्रेरणा |
सोफिया कुरैशी का प्रारंभिक जीवन और परिवारिक | Sofiya Qureshi Early life & family
सोफिया कुरैशी का जन्म 1981 में गुजरात के वडोदरा शहर में हुआ। उनका पालन-पोषण एक सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार में हुआ। उनके दादा भारतीय सेना में थे और पिता ताजुद्दीन कुरैशी ने सेना में धार्मिक शिक्षक के रूप में सेवाएं दीं। मां हनीमा कुरैशी ने एक मजबूत पारिवारिक आधार प्रदान किया। इस सैन्य माहौल ने सोफिया के भीतर बचपन से ही अनुशासन, देशभक्ति और सेवा की भावना भर दी थी।
सोफिया कुरैशी का शिक्षा और करियर | Sofiya Qureshi education & career
सोफिया ने वडोदरा के प्रतिष्ठित महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (MSU) से बी.एससी. (रसायन विज्ञान) और एम.एससी. (बायोकैमिस्ट्री) की पढ़ाई पूरी की। उनका प्रारंभिक सपना एक प्रोफेसर बनने का था। उन्होंने विश्वविद्यालय में असिस्टेंट लेक्चरर के रूप में पढ़ाना शुरू किया और साथ ही पीएचडी भी कर रही थीं।
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सोफिया कुरैशी का सेना में इंट्री | Sofiya Qureshi Entry into the army
हालांकि, जब भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के ज़रिए चयन का अवसर आया, तो सोफिया ने बिना हिचकिचाहट अपने शिक्षण करियर को छोड़कर देश सेवा का रास्ता चुना। वर्ष 1999 में उन्होंने चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) से प्रशिक्षण प्राप्त कर भारतीय सेना की सिग्नल कोर (Corps of Signals) में कमीशन प्राप्त किया। यह कोर सेना में संचार और तकनीकी गतिविधियों का संचालन करती है।
सोफिया कुरैशी का महत्वपूर्ण मिशन | Sofiya Qureshi Important mission
1. संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन – कांगो (2006)
वर्ष 2006 में सोफिया को संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक (Military Observer) के रूप में तैनात किया गया। उन्होंने छह वर्षों तक इस मिशन में सेवा दी। इस दौरान उन्होंने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, मानवीय राहत कार्यों और युद्ध विराम की निगरानी जैसे कार्यों में अहम भूमिका निभाई।
2. ऑपरेशन पराक्रम
भारतीय सेना के बड़े ऑपरेशनों में से एक ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान उन्होंने पंजाब सीमा पर सेवाएं दीं। उनके इस योगदान के लिए उन्हें GOC-in-C (General Officer Commanding-in-Chief) की ओर से प्रशंसा पत्र भी प्राप्त हुआ।
3. आपदा राहत अभियान
पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ के समय उन्होंने राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके तकनीकी नेतृत्व के लिए उन्हें सिग्नल ऑफिसर-इन-चीफ द्वारा कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया।
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सोफिया कुरैशी का एक्सरसाइज फोर्स 18 का नेतृत्व
2016 में आयोजित “Exercise Force 18” नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने भारतीय सेना की 40 सदस्यीय टुकड़ी का नेतृत्व किया। इस अभ्यास में ASEAN देशों और अन्य 8 देशों ने भाग लिया, जिसमें अमेरिका, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी शामिल थे।
सोफिया इस अभ्यास में भारतीय सेना की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। वह 18 देशों के प्रतिनिधियों में एकमात्र महिला कमांडर थीं, जिससे उन्होंने न सिर्फ भारतीय सेना बल्कि वैश्विक मंच पर भी महिला शक्ति की छवि को मजबूती दी।
सोफिया कुरैशी का ऑपरेशन सिंदूर में भूमिका | Sofiya Qureshi Opretion Sindoor
7 मई 2025 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर बड़ा हमला किया। इस कार्रवाई को “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया। इस ऑपरेशन की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर वयोमिका सिंह ने मीडिया को संबोधित किया।
सोफिया ने मीडिया को बताया कि यह ऑपरेशन 15 दिन पहले पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए किया गया। इस प्रेस ब्रीफिंग के ज़रिए यह स्पष्ट हो गया कि अब भारतीय सेना में महिलाएं न केवल हिस्सा ले रही हैं, बल्कि नेतृत्व भी कर रही हैं।
सोफिया कुरैशी का व्यक्तिगत जीवन | Sofiya Qureshi personal life
सोफिया की शादी भारतीय सेना के ही एक अधिकारी मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से हुई है, जो मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में कार्यरत हैं। उनके एक पुत्र हैं – समीर कुरैशी। उनके भाई मोहम्मद संजय कुरैशी बताते हैं कि सोफिया उनकी बेटी ज़ारा के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और ज़ारा भी सेना में जाने का सपना देख रही हैं।
सोफिया कुरैशी का सम्मान और पुरस्कार | Sofiya Qureshi award & achievement
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी को उनके साहसिक कार्यों और उत्कृष्ट सेवा के लिए कई बार सेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सम्मानित किया गया:
- GOC-in-C प्रशंसा पत्र (ऑपरेशन पराक्रम)
- Signal Officer-in-Chief कमेंडेशन कार्ड (बाढ़ राहत कार्य)
- Force Commander द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष सराहना
- कई आर्मी कमेंडेशन कार्ड्स
सोफिया कुरैशी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक
सोफिया कुरैशी सिर्फ एक सैन्य अधिकारी नहीं हैं, वह देशभर की उन लड़कियों और महिलाओं के लिए एक प्रतीक हैं जो सेना में अपना भविष्य देखती हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि समर्पण, साहस और नेतृत्व की कोई लिंग सीमा नहीं होती।
उनकी उपलब्धियों ने यह रास्ता खोल दिया है कि अब महिलाएं भी भारतीय सशस्त्र बलों में हर मोर्चे पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकती हैं — चाहे वह युद्ध क्षेत्र हो, आपदा राहत हो या अंतरराष्ट्रीय मंच।
निष्कर्ष
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी की कहानी हमें यह सिखाती है कि दृढ़ निश्चय, शिक्षा और देशभक्ति के बल पर कोई भी महिला असंभव को संभव बना सकती है। उन्होंने पारंपरिक सोच को तोड़ा और देश की सेवा में अपनी भूमिका निभाते हुए लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गईं। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा भारतीय सेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रतीक है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक चमकता हुआ आदर्श भी।