Saraswathi Rajamani Biography in Hindi , Age, height, weight, birth, family, education, career, freedom fighter
हमारी भारतीय संस्कृति हमारी परंपरा और हमारी मिट्टी से जुड़ी कहानियां सुनाते है 15 अगस्त हमारा स्वतंत्रता दिवस है। इस दिन के लिए भारतीयों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था भारत मां को आजाद करवाने के लिए स्वतंत्र करवाने के लिए उनमें से अधिकांश लोग तो शायद इतिहास के पन्नों में किसी कोने पर भी जगह नहीं बना पाए।
और दो तीन परिवारों का स्तुति गान करते-करते हम ऐसे अंधे हो गए थे कि हमने उन अल्पसंख्य लोगों की ओर कभी देखने का प्रयास भी नहीं किया ऐसे ही एक कहानी है जिसे इतिहास के पन्नों में बहुत छोटा सा स्थान मिला वह शायद उससे अधिक बड़ा स्थान ग्रहण करने के योग्य थी यह कहानी है सरस्वती राजमणि की तो चलिए जानते है।
सरस्वती राजमणि का जन्म और प्रारम्भिक जीवन
यह कहानी है बीसवीं सदी के प्रारंभ की तमिलनाडु में सोने की खदानों के मालिक की हैं। जन्हाँ 11 जनवरी 1927 में परिवार के घर में एक बेटी का जन्म इंगो मयन्मार बर्मा में हुआ था। और इसका नाम रखा जाता है सरस्वती राजमणि। जहां पर राष्ट्र के लिए प्रेम भारत मां को स्वतंत्र कराने के लिए आंदोलनों से जुड़ना एक सामान्य । राजमणि ने जब बड़ी हुई थोड़ी तो उसने सुना कि किस तरह भगत सिंह को फांसी पर लटका दिया बात है 1937 की 10 वर्ष की बालिका थी।
सरस्वती राजमणि को महात्मा गांधी से मुलाकात
जब महात्मा गांधी रंगून गए तो राजमणि के घर वाले भी मिलने के लिए भी गए थे और बैठे हुआ था। बात कर रहे थे कि भारत मां को स्वतंत्र कराया जा सकता है सभा में वह दिखाई नहीं दे रही थी तो सब लोग इधर-उधर देखने लगे और राजमणि को ढूंढने लगे। लेकिन घर के एक किनारे में 10 वर्षीय बच्ची राजमणि को बंदूक लेकर निशाना लगाने की कोशिश कर रही थी। उस में महारत हासिल करना चाहती थी उनसे गाँधी जी ने पुचा की यह तुम कियो सीखना चाहती ही। उसका जवाब था अंग्रेजो को मारना है।
सरस्वती राजमणि आजाद हिंद फौज में हुई शामिल
10 वर्षीय बच्ची का धीरे-धीरे विचारों के साथ में और बड़ी होने लगे तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस रंगून पहुंचे थे जो हमारी आजाद हिंद फौज ने बनाई थी उसके लिए लोगों से दान ले रहे थे पैसा इकट्ठा कर रहे थे उनके पिता ने ऐसे ही हमेशा के लिए अपनी तिजोरी खोल दी और इनके खजाने में ढेर सारा पैसा डाल दिया।
नेता जी के भाषण सुनाने के लिए राजमणि भी अपनी सहेलियों के साथ भाषण सुनने गई थी और उस भाषण को सुनकर इतनी प्रभावित इतनी प्रभावित हुई की उसके पास बहुत सारे सोने के जेवर और गहने थे उसने अपने सारे जेवर गहनों को दान दे दिया।
बाद में जब नेता जी को यह पता चला कि एक 15 वर्षीय बच्ची ने अपने सारे गहने दान दे दिए हैं और फिर यह भी पता लगा कि राजमणि उन्हीं की पुत्री है जिन्होंने हमें बहुत अधिक दान दे दिया है। इस तरह से 15 वर्षीय राजमणि बन गई सरस्वती राजमणि उसके बाद उन्होंने आजाद हिंद फौज में शामिल हो गई सहेलियों के साथ में जानते हैं 15 वर्ष की अवस्था में पांच सहेलियों के साथ मिलकर क्या किया।
सरस्वती राजमणि अंग्रेजो के सिविर में शामिल हुई
इन्होंने लड़कों का भेस बनाया लड़कों का भेस बनाकर रंगून में जो ब्रिटिश कैंप था उसमें घुस गई काम करने वाले मदद करने वाले लड़कों के रूप में जो कि वहां के ऑफिसर्स के जूते पालिश कर देती थी। और इस तरह 2 साल तक बच्चियां वहां से सूचनाएं भेजती रही किंतु दुर्भाग्य से 2 वर्ष बाद इनकी एक मित्र जिसका नाम कहा जाता है दुर्गा था वह पकड़ा जाती है पता लगता है कि उसकी मित्र पकड़ा गई है तो फिर भी वह हिम्मत नहीं हारती है।
वह कैंप में डांसर बनके डांस करने के लिए जाती हैं और अपने नृत्य के दौरान वहां उपस्थित ब्रिटिश सिपाहियों क्र शराब में नशा मिला देती है । जिसके कारण वह आधी बेहोशी में चले जाते हैं और उसके साथ सरस्वती राजमणि अपने मित्र को लेकर वहां से भाग खड़ी होती है परन्तु उनके एक पैर में गोली लाग जाती है। भागते भागते एक पेड़ के ऊपर चढ़ जाती हैं और उस पेड़ पर 3 दिन तक रुकी रहती है ताकि ब्रिटिशर्स उन्हें खोज ना सके आखिरकार सफलतापूर्वक 3 दिन बाद वहां से उतरकर अपने घर पहुंच जाती हैं।
इसके बारे में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पता चलता है तो किसी दुसरे वेक्ति को लेफ्टिनेंट का पद देते हैं रानी झांसी ब्रिगेड में और धीरे-धीरे समाप्त हो गया था और नेताजी के कहने पर सरस्वती राजमणि अपनी सहेलियों के साथ वापस अपने पिता के घर आती है 1946 में उनके पिता अपना संपूर्ण साम्राज्य भारतीय स्वतंत्र संग्राम में दान दे देते हैं और बिना कुछ लिए अपनी पुत्री और अपने परिवार के साथ वापस तमिलनाडु आ जाते हैं।
इसमें 1947 में देश आजाद होता है उस वक्त वह हमारे तमिलनाडु में थी उन्होंने महसूस किया कि देश स्वतंत्र हो गया है लेकिन उनके और उनके परिवार के स्तर को भाव को शायद आज तक हम अपने किताबों में स्थान नहीं दे पाए।
सरस्वती राजमणि का निधन
सरस्वती राजमणि ने 11 जनवरी 2018 पेटर्स क्लोनी चन्नई को उन्होंने अपने को त्याग दिया। अपना संपूर्ण भारत मां को अर्पण करने के पश्चात उन्हें और उनके जैसे हजारों को हमारी ओर से नमन मैं हमारे युवाओं से यही प्रार्थना करती हूं कि आज जो हमारे देश के प्रधानमंत्री का आवाहन है आत्मनिर्भर भारत बनाने का इस सपने को पूरा कीजिए जी जान से जुट जाइए जब सरस्वती राजमणि जैसी छोटी बच्ची काम कर सकती है उस समय में कर सकती है तो क्या आज हमारे पास वह जोश और वादा नहीं है कि हम सब कुछ अपना लगा दे और वाकई में हमारे देश को आत्मनिर्भर बना बनाए धन्यवाद!