कैफे से IAS बनने तक का संघर्षभरा सफर जो हर हारने वाले को देगा नई उम्मीद | Ias Moin Mansuri Biography

IAS Moin Ahmad Mansoori Biography in Hindi, UPSC Success Story, Inspirational IAS Story, Moin Mansoori IAS Rank, Mansoori Internet Cafe, LBSNAA Training, Hindi Medium UPSC Success, UPSC 2022 Topper, Motivational UPSC Journey, Struggle to Success

Ias Moin Mansuri Biography

अगर आपकी मेहनत रंग नहीं ला रही, अगर बार-बार की असफलताओं से मन टूट चुका है, तो आपको IAS मोइन अहमद मंसूरी की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए। यह कहानी सिर्फ एक युवक के IAS बनने की नहीं है, यह हिम्मत, जुनून, और अटूट विश्वास की मिसाल है।

मोइन मंसूरी बचपन से संघर्षों से भरा जीवन

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के जटपुरा कस्बे में जन्मे मोइन अहमद मंसूरी का बचपन अभावों में बीता। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। उनके पिता वली हसन संविदा पर बस चालक की नौकरी करते थे। पांच भाई-बहनों वाले इस परिवार में जिंदगी की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना ही एक चुनौती थी।

मोइन मंसूरी क्रिकेटर बनने का सपना, फिर दिशा बदली

मोइन को शुरू से ही बड़ा बनने का सपना था। 12वीं के बाद वे सोचने लगे कि क्या उन्हें UPSC की तैयारी करनी चाहिए या क्रिकेटर बनना चाहिए? क्रिकेट के प्रति गहरा लगाव था, इसीलिए मुरादाबाद की एक अकादमी भी जॉइन की। लेकिन जल्द ही समझ में आया कि क्रिकेट की ट्रेनिंग और इक्विपमेंट बहुत महंगे हैं, और घर की हालत ऐसी नहीं कि यह सपना पूरा हो सके।

‘मंसूरी इंटरनेट कैफे’ से UPSC की ओर पहला कदम

साल 2017 में मोइन ने अपने गांव जटपुरा में ‘मंसूरी इंटरनेट कैफे‘ खोला। इस कैफे से जो भी थोड़ी बहुत आमदनी होती, उसी से घर भी चलता और उसी से UPSC की तैयारी का ख्वाब भी जिंदा रहा। बाद में UPSC की कोचिंग के लिए उन्होंने बैंक से डेढ़ लाख रुपये का लोन लिया, और कुछ लोन अपने दादा के खाते से भी लिया। लगभग तीन लाख रुपये की रकम जुटाकर दिल्ली आ गए।

यह भी पढ़ें:भारत के युवा IAS रवि कुमार सिहाग का जीवनी परिचय |

दिल्ली में बढ़ता खर्च और लगातार नाकामी

दिल्ली में जिंदगी आसान नहीं थी। जो बजट लेकर आए थे, वह कुछ ही महीनों में खत्म हो गया। ऊपर से UPSC 2019 में पहली ही बार में असफलता हाथ लगी। इस असफलता ने उन्हें गहरा झटका दिया, लेकिन मोइन ने हार नहीं मानी।

अतिया फाउंडेशन बनी सहारा

आर्थिक तंगी से जूझते हुए मोइन ने ‘अतिया फाउंडेशन’ की स्कॉलरशिप परीक्षा दी और पास की। इसके बाद उनकी पढ़ाई और तैयारी का खर्च फाउंडेशन ने उठाया। बावजूद इसके, साल 2020 और 2021 में वे फिर से प्रीलिम्स परीक्षा पास नहीं कर पाए।

तीन बार की असफलता के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत

लगातार तीन बार असफल होने के बावजूद मोइन अहमद ने न तो घर लौटने का फैसला किया, न ही अपने सपनों से मुंह मोड़ा। उन्होंने खुद से कहा – “एक साल और, पूरी ईमानदारी से।” इस बार उन्होंने खुद को पूरी तरह झोंक दिया।

UPSC 2022 में सफलता, मिली AIR 296

IAS Moin Ahmad Mansoori Biography in Hindi, UPSC Success Story, Inspirational IAS Story, Moin Mansoori IAS Rank, Mansoori Internet Cafe, LBSNAA Training, Hindi Medium UPSC Success, UPSC 2022 Topper, Motivational UPSC Journey, Struggle to Success

अंततः मोइन अहमद मंसूरी की मेहनत रंग लाई। साल 2022 में उन्होंने UPSC प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू – तीनों चरण पास कर लिए। उन्हें ऑल इंडिया रैंक 296 मिली और वे पश्चिम बंगाल कैडर के लिए चुने गए। फिलहाल वे मसूरी की LBSNAA में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

प्रेरणा बनी सोशल मीडिया पोस्ट

IAS Moin Ahmad Mansoori Biography in Hindi, UPSC Success Story, Inspirational IAS Story, Moin Mansoori IAS Rank, Mansoori Internet Cafe, LBSNAA Training, Hindi Medium UPSC Success, UPSC 2022 Topper, Motivational UPSC Journey, Struggle to Success

25 दिसंबर 2023 को उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर एक मोटिवेशनल रील शेयर की, जिसमें उन्होंने कहा – “अरे 35 लाख की भीड़ देखकर क्या सोचा हम डर जाएंगे… हम कर जाएंगे।” इस पोस्ट में उन्होंने अपने साइबर कैफे से लेकर LBSNAA तक के सफर को दिखाया, जो लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गया।

यह भी पढ़ें:IAS मोहम्मद रोशन की जीवनी: उम्र, शिक्षा, परिवार, करियर, नियुक्ति & नेट वर्थ इनकम

परिवार की बदलती किस्मत

मोइन के भाई मोहसिन मंसूरी बताते हैं कि वे और मोइन दोनों मिलकर कैफे चलाते थे। पिता बस चलाकर घर का खर्च चलाते थे। लेकिन बेटे के IAS बनने के बाद उन्होंने ड्राइवरी छोड़ दी। मोहसिन अब दिल्ली में एक बैंक की नौकरी कर रहे हैं और बताते हैं कि “मोइन अब उन सभी के लिए मिसाल बन गया है जो नाकामियों से घबरा जाते हैं।”

‘मंसूरी इंटरनेट कैफे’ की बंदी, लेकिन ख्वाब कायम

IAS बनने के बाद ‘मंसूरी इंटरनेट कैफे’ को बंद कर दिया गया, लेकिन यह कैफे अब मुरादाबाद के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्थल बन चुका है। यही वह जगह थी जहां से मोइन ने अपने ख्वाबों की उड़ान भरी थी।

निष्कर्ष:

IAS मोइन अहमद मंसूरी की कहानी हमें सिखाती है कि सपनों के रास्ते आसान नहीं होते, लेकिन अगर मेहनत ईमानदार हो और इरादा मजबूत, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। गरीबी, असफलताएं, तंगी – ये सब रास्ते की बाधाएं हैं, मंजिल को रोक नहीं सकतीं।

अगर आप भी किसी सपने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, तो मोइन अहमद की कहानी को याद रखिए – “हार मान लेना समाधान नहीं है, बल्कि एक बार और कोशिश करना आपकी जीत की शुरुआत हो सकती है।”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top