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दुनिया में कई ऐसे व्यक्तियाँ हैं जिन्होंने बचपन में कठिनाइयों और गरीबी का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपनी क्षमता और मेहनत से नई ऊँचाइयों को हासिल किया। आपने किताबों, अख़बारों और इंटरनेट पर कई ऐसे लोगों की कहानियाँ पढ़ी होगी, जिन्होंने दो वक्त की रोटी के लिए भी कड़ी मेहनत की, लेकिन आज वे लोग सफलता की मिसाल बन गए हैं।
ऐसे ही व्यक्तियों में से एक महिला की कहानी है, जो शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँची और लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी। हाँ, हम बात कर रहे हैं मशहूर भारतीय अभिनेत्री सुधा चंद्रन की।
सुधा चंद्रन कौन है (Who is Sudha Chandran )
आज हम आपको अभिनेत्री सुधा चंद्रन की संघर्ष और सफलता की कहानी से परिचय देने जा रहे हैं। सुधा चंद्रन का नाम आज कौन नहीं जानता! सुधाजी ने न केवल अपने नृत्य कौशल से, बल्कि अपने अभिनय कौशल से भी दर्शकों के दिलों में एक खास स्थान प्राप्त किया है। जब सुधा बचपन में 16 साल की थीं, तो उनके डांस कौशल की तारीफ करने वाले कम नहीं थे। लेकिन अचानक, जब उनकी उम्र 17 साल की हुई, तब उनकी जिंदगी में एक ऐसा हादसा घटा जिसने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। तो दोस्तों, आइए हम सुधा चंद्रन की जीवनी (Sudha Chandran Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सुधा चंद्रन की जन्म और शुरुआती जीवन (Sudha Chandran Birth and early life)
प्रसिद्ध अभिनेत्री सुधा चंद्रन का जन्म 27 सितंबर 1965 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता बेहद साधारण परिवार से थे, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को मुंबई में उच्च शिक्षा दिलाने में खास दिलचस्पी दिखाई।
उनके पूर्वज वायलूर, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु से थे, लेकिन उनके दादा केरल के पलक्कड़ में बस गए थे। उनके पिता का नाम स्वर्गीय के.डी. चंद्रन था और माता का नाम थंगम चंद्रन था।
सुधाजी को बचपन से ही नृत्य में रुचि थी और यही कारण था कि उन्होंने मात्र 3 साल की उम्र में भारतीय शास्त्रीय नृत्य का अभ्यास करना शुरू कर दिया था। स्कूल के दिनों में पढ़ाई के बाद वह डांस की प्रैक्टिस करती रहती थीं।
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सुधा चंद्रन की शिक्षा (Sudha Chandran Education)
सुधा जी पढ़ाई में बहुत अच्छी रही थीं और उन्होंने 10वीं बोर्ड में पहला स्थान प्राप्त किया था। हालांकि, उन्होंने फिर भी विज्ञान की बजाय कला शाखा को चुना, क्योंकि उन्हें नृत्य को अधिक समय देना था।
उनके माता-पिता ने उन्हें पांच साल की आयु में मुंबई के प्रसिद्ध डांस स्कूल “कला-सदन (Kalasadan)” में दाखिल करवाया था। उन्होंने मीठीबाई कॉलेज, मुंबई से औद्योगिक और अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री प्राप्त की।
सुधा चंद्रन का व्यक्तिगत जीवन (Personal life of Sudha Chandran)
16 साल की उम्र तक, सुधा जी ने 75 से भी ज्यादा स्टेज शो किए थे। अब वह भरतनाट्यम की एक महान कलाकार के रूप में पहचानी जाने लगी थी और उन्हें नृत्य क्षेत्र में कई पुरस्कार मिले थे।
सुधा चंद्रन ने उस व्यक्ति को अपने पति के रूप में स्वीकार किया था, जिससे वह प्यार करती थी। उनके जीवनसाथी का नाम रवि डांग है, जो एक सहायक निर्देशक के रूप में काम करते हैं।
ऑपरेशन के बाद सुधाजी के लिए पहला डांस करने का मौका आया। इस दिन का इंतजार बहुत लंबा था, जब दुर्घटना के बाद पहले कार्यक्रम में सुधाजी को आमंत्रित किया गया। यह घटना सेंट जेवियर्स कॉलेज में हुई थी और उस दिन समाचार पत्र में शीर्षक था “एक पैर खो दिया, फिर भी मिली सफलता”।
सारा ऑडिटोरियम भरी हुई थी, और सुधाजी बहुत लंबे समय बाद पहली बार किसी शो में परफ़ॉर्म कर रही थीं। वे थोड़ी घबराई हुई थीं, लेकिन उन्होंने इस मौके का सारा लाभ उठाने का निर्णय लिया।
सुधाजी ने पहली बार प्रोस्थेटिक लेग के साथ डांस किया, और पूरे ऑडिटोरियम में तालियों की गूंज उठी। यह प्रदर्शन कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बना। सुधाजी के हौसले और आत्मविश्वास ने सभी को मोहित किया, और उनके प्रदर्शन से सुधाजी के प्रशंसकों की संख्या में वृद्धि हुई।
धीरे-धीरे, सुधाजी चंद्रनजी की मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती गई, और एक दिन उनके पिता ने उनके पैर छूकर कहा कि वह मां सरस्वती के चरणों की वंदना कर रहे हैं। उन्होंने दिखाया कि नामुमकिन को मुमकिन बना सकते हैं। सुधाजी अब रातों-रात लोकप्रियता प्राप्त करने लगीं।
सुधा चंद्रन की सड़क दुर्घटना (sudha chandran road accident)
17 वर्षीय सुधा चंद्रन अपने माता-पिता के साथ तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के एक मंदिर से वापस आ रही थीं। इस समय, उनकी बस के सामने एक ट्रक आकर टकरा गया। इस भायानक हादसे में बस में सवार कई यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें सुधाजी भी शामिल थीं।
अस्पताल में डॉक्टरों ने सुधाजी के माता-पिता को बताया कि उनके एक पैर की हड्डी टूट गई है और उन्हें गैंग्रीन (एक प्रकार का संक्रमण) हो गया है। डॉक्टरों ने बताया कि अगर समय पर उनका पैर नहीं काटा जाता, तो सुधाजी की जान भी खतरे में हो सकती है।
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माता-पिता ने दिल पर पत्थर रखकर डॉक्टरों की सलाह मानी और पैर को काटने की अनुमति दे दी। आख़िरकार, एक महीने के बाद, सुधा के दाहिने पैर की घुटने से साढ़े सात इंच नीचे से कट दिया गया।
एक पैर का विच्छेदन शायद किसी भी नर्तक की जिंदगी का सबसे कठिन मोड़ होता है, और सुधा के लिए भी ऐसा ही हुआ। सुधा चंद्रन के जीवन का यह सबसे बुरा समय था, वह लड़की जो बिना थके नाचती थी, जिन्होंने नृत्य के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया था, जिनके सपने असीम थे, उनके सामने यह हादसा आ गया।
सुधा पूरे दिन बिस्तर पर पड़ी होकर अपनी किस्मत पर रोती रही। जिस लड़की ने नृत्य के सपने देखे थे, उसका आज यह हाल था। सुधाजी की यह स्थिति उनके माता-पिता को भी दुखी कर दीती थी, उनकी आँखों में उनकी बेटी के भविष्य का अंधकार छाया हुआ था।
कहा जाता है कि उनकी स्थिति इतनी खराब थी कि उनके माता-पिता ने उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी थी।
जब भी वह घर के कुछ सामान लेने निकलती, तो वे रात के समय बाहर जाते थे ताकि लोग उनसे सुधा के बारे में प्रश्न न छेड़ें। सुधा को यह देखकर बहुत दुःख हुआ।
इसी समय, सुधा ने निश्चय किया कि वह चाहे कुछ भी हो, अपने माता-पिता को गर्वित करने के लिए कुछ करना होगा। उन्होंने आत्मा में संकल्प लिया कि उन्हें पुनः नृत्य करना है।
सुधा जी लकड़ी के ब्लॉक और बैसाखियों के सहारे चलने लगी और मुंबई जाकर पढ़ाई में जुट गई। उस समय, सुधा ने कृत्रिम पैर विशेषज्ञ डॉ. पी.के. सेठी के बारे में सुना, जिन्होंने मैगसेसे पुरस्कार जीता था।
सुधा ने जयपुर फुट (Jaipur Foot) के डॉ. पी.के. सेठी से मिलने के लिए पत्र लिखा, जो दुनिया में सबसे सस्ते कृत्रिम पैर बनाने के लिए प्रसिद्ध थे। भाग्यशाली रूप से, डॉ. सेठी ने सुधा से मिलने के लिए तैयार हो गए।
जब सुधा पहली बार डॉ. सेठी से मिलीं, तो डॉ. सेठी ने पूछा कि क्या वह “जयपुर फुट” के साथ फिर से नृत्य कर पाएगी? क्या वह फिर से पहले की तरह नृत्य कर सकेगी? उनका जवाब था कि यह सब उनकी इच्छा और मेहनत पर निर्भर करेगा। अगर वह सच्चे मन से चाहेंगी तो संभव है।
सुधा के पैर का ऑपरेशन किया गया और उन्हें कृत्रिम पैर दिया गया। डॉ. सेठी ने एक खास प्रकार के पैर बनाए, जो आसानी से घुमा सकता था।
धीरे-धीरे, सुधा की उम्मीद बढ़ने लगी, और उन्होंने पैर की मदद से नृत्य की प्रशिक्षण लेना शुरू किया। यद्यपि इसमें दर्द होता था और अक्सर खून भी बहता था, सुधा ने कड़ी मेहनत की और नृत्य करने का संकल्प नहीं तोड़ा।
सुधा ने कठिनाइयों का सामना करते-करते अच्छा नृत्य करने का कौशल प्राप्त किया। अब थे समय कि वह अपने दम पर सफलता हासिल करने का मार्ग चुने। सुधा का आत्मविश्वास फिर से मजबूत हुआ और उन्होंने अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने साबित करने का समय पाया।
ऐसे ही, सुधा ने अवसर का सही मोमेंट प्राप्त किया और अपनी प्रतिभा को साकार किया। उन्होंने इस संघर्षपूर्ण यात्रा में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उनका संघर्ष उन्हें सफलता तक पहुँचाया।
ऑपरेशन के बाद सुधाजी के लिए पहला डांस (First doctor for Sudhaji after operation)
इस दिन का इंतजार बहुत लंबा था, जब दुर्घटना के बाद पहले कार्यक्रम में सुधाजी को आमंत्रित किया गया। यह घटना सेंट जेवियर्स कॉलेज में हुई थी और उस दिन समाचार पत्र में शीर्षक था “एक पैर खो दिया, फिर भी मिली सफलता”।
सारा ऑडिटोरियम भरी हुई थी, और सुधाजी बहुत लंबे समय बाद पहली बार किसी शो में परफ़ॉर्म कर रही थीं। वे थोड़ी घबराई हुई थीं, लेकिन उन्होंने इस मौके का सारा लाभ उठाने का निर्णय लिया।
सुधाजी ने पहली बार प्रोस्थेटिक लेग के साथ डांस किया, और पूरे ऑडिटोरियम में तालियों की गूंज उठी। यह प्रदर्शन कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बना। सुधाजी के हौसले और आत्मविश्वास ने सभी को मोहित किया, और उनके प्रदर्शन से सुधाजी के प्रशंसकों की संख्या में वृद्धि हुई।
धीरे-धीरे, सुधाजी चंद्रनजी की मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती गई, और एक दिन उनके पिता ने उनके पैर छूकर कहा कि वह मां सरस्वती के चरणों की वंदना कर रहे हैं। उन्होंने दिखाया कि नामुमकिन को मुमकिन बना सकते हैं। सुधाजी अब रातों-रात लोकप्रियता प्राप्त करने लगीं।
सुधा चंद्रन के जीवन पर आधारित एक फिल्म (A film based on the life of Sudha Chandran)
सुधाजी की लोकप्रियता के कारण उनके संघर्ष और सफलता की कहानियाँ अब अनेक पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगी थीं। इसी बीच, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता रामोजी राव भी सुधाजी के संघर्ष से प्रभावित हुए और उन्होंने उनके जीवन पर एक फिल्म बनाने का निर्णय लिया।
1984 में, तेलुगु भाषा में “मयूरी” नामक फिल्म बनाई गई, जिसमें मुख्य किरदार की भूमिका खुद सुधाजी ने निभाई थी। इस फिल्म ने दर्शकों का दिल जीता। उसमें सुधाजी के डांस को दर्शकों ने बहुत पसंद किया।
तेलुगु फिल्म “मयूरी” के बाद, 1986 में “नाचे मयूरी” नामक हिंदी संस्करण आया। इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था, क्योंकि यह सुधाजी के जीवन की कहानी पर आधारित थी।
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इसके बाद, सुधाजी ने और भी कई फिल्मों और टीवी सीरियल में काम किया। आज भी वे कई मशहूर टीवी सीरियलों में काम कर रही हैं।
सुधा चंद्रन का अवॉर्ड और सम्मान (Sudha Chandran aword and Achievement)
साल | अवॉर्ड | के लिए | सीरियल/फिल्म |
2017 | Colors Golden Petal Award | बेस्ट ऐक्टर इन ए कॉमिक रोल | नागिन 2 |
2016 | Colors Golden Petal Award | पावर पैक परफॉरमेंस | नागिन |
2015 | Vijay Television Award | बेस्ट मदर इन लॉ | Deivam Thandha Veedu |
2014 | Vijay Television Award | बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्ट्रिस | Deivam Thandha Veedu |
2013 | Asianet Television awards 2013 | Best Character actress | Aardram |
2005 | Indian Television Academy Award | बेस्ट ऐक्ट्रिस इन नेगटिव रोल | तुम्हारी दिशा |
1986 | National Film Award | स्पेशल जूरी अवॉर्ड | मयूरी |
सुधा चंद्रन की फिल्में (Sudha Chandran movies)
मयूरी (1984), सर्वम् शक्ति मयम् (1986), मलारुम कलियुम (1986), धर्मम् (1986), नाचे मयूरी (1986), नांबिनार केदुवथिल्लई (1986), वसंत रागम (1986), थये नेये थुनै (1987), कलाम मारी कथा मेरी (1987), चिन्ना पोव मेला पेसू (1987), चिन्ना थम्बी पेरिया थम्बी (1987), थंगा कलासम (1988), ओरिजीत्टा कोल्ली (1988), ओलाविना आसरे (1988), पति परमेश्वर (1990), थानेदारब (1990), राजनर्तकी (1990), जीने की सज़ा (1991), कुर्बान (1991), मस्करी (1991), जान पहचान (1991), निश्चय (1992), शोला और शबनम (1992), फूलन हसीना रामकली (1993), बाली उमर को सलाम (1994), रघुवीर (1995), हम आपके दिल में रहते हैं (1999), एक लूटेरे (2001), शादी करके फस गया यार (2002), प्रणली (2008), परमवीर परशुराम (2013), तेरा इंतेज़ार (2017), क्रिना (2018), सिफर (2019) मैच ऑफलाइफ (2020), राग (2021)
सुधा चंद्रन के टीवी शो (Sudha Chandran TV Shows)
रिश्ते (1998), अपराजिता (1993), साहिल (1996), चश्मे बद्दूर (1998), हीना (1998 – 2003), शक लका बूम बूम (2000 – 2001), कैसे कहूं (2001), क्योंकि सास की कभी बहु थी (2002 – 2005), तुम बिन जाऊ कहा (2003 – 2004), ज़मीन से आसमान तक (2004), कशमकश ज़िन्दगी की (2006 – 2009), झलक दिखला जा 2 (2007), शुभ कदम (2008 – 2009), मिस्टर एन्ड मिसेस शर्मा इलाहाबाद वाले (2010), झिल मिल सितारों का आँगन होगा (2012), ये है मोहब्बतें (2018 – 2019), बिग बॉस (2020)
सुधा चंद्रन के कुछ रोचक जानकारियां (Sudha Chandran about interesting fact)
- सुधा चंद्रन मूलतः तमिलनाडु राज्य की निवासी है।
- वे भारत की प्रसिद्ध नृत्यांगना और अभिनेत्री हैं।
- उन्होंने अपनी दसवीं परीक्षा में 80% अंक प्राप्त किए थे।
- स्कूल के दौरान ही सुधा ने कई स्टेज शो में प्रदर्शन किया था।
- 1981 में जब वे तमिलनाडु से चेन्नई आ रही थीं, तो उनके साथ एक्सिडेंट हो गया। इस हादसे में उन्हें गंभीर चोट आई और उनका दाहिना पैर खराब हो गया। डॉक्टरों के सुझाव पर उनके पैर को काट दिया गया।
- 1984 में उन्होंने “मयूरी” फिल्म के माध्यम से अपने करियर की शुरुआत की।
- “मयूरी” ने उनकी शानदार प्रस्तुति के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- 2015 में आए टीवी सीरियल “नागिन” में उन्होंने यामिनी का किरदार निभाया, जो काफी पॉपुलर हुआ था।
- वर्ष 2015 में आए टीवी सीरियल “नागिन” में उनकी यामिनी की भूमिका ने उन्हें काफी प्रशंसा दिलाई।
- सुधा चंद्रन ने कई फिल्मों में काम किया है, साथ ही सुपरहिट टीवी सीरियलों में भी उनकी प्रमुख भूमिकाएं रही हैं।
- सुधा चंद्रन के संघर्ष की कहानी बच्चों के पाठशाला की किताबों में भी प्रकट होती है।
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