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रामधारी सिंह दिनकर जो हिंदी भाषा के एक प्रसिद्ध लेखक, कवी, निबंधकार थे और राष्ट्रकवि की उपाधि दी गई है। वह आजादी से पहले वद्रोही कवी के रूप में जाने जाते थे। और हमारे देश की आजादी के बाद उन्हें राष्ट्रकवि के नाम से जाने जाने लगा। दिनकर जी को आधुनिक युग के सबसे बारे ‘वीर रस’ कवि के रूप स्थापित किया गाय। और ये छायाबदोतर कवि के पहले पीढ़ी को थे। दिनकर जी बिहार के बेगुसराय जिला के स्मारिया ग्राम के रहने वाले है।
रामधारी सिंह दिनकर जीवनी परिचय (Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi)
संक्षिप्त परिचय
पूरा नाम | रामधारी सिंह दिनकर |
जन्म | 23 सितंबर 1908 |
पिता का नाम | बाबू रवि सिंह |
माता का नाम | मनरूप देवी |
पत्नी का नाम | ज्ञात नहीं |
भाई- बहन | केदारनाथ सिंह और रामसेवक सिंह |
रामधारी दिनकर का जन्म स्थान | सिमरिया, मुंगेर, बिहार |
मृत्यु | 24 अप्रैल 1974{65 मृत्यु के समय) |
मृत्यु स्थान | बेगूसराय, बिहार, भारत |
रामधारी सिंह दिनकर के देश का नाम | भारत (India) |
पेशा | कवि, लेखक, निबंधकार, साहित्यिक आलोचक, पत्रकार, व्यंग्यकार,स्वतंत्रता सेनानी और संसद सदस्य |
भाषा | हिंदी |
प्रसिद्धि का कारण | राष्ट्रकवि |
मुख्य रचनाएँ | रश्मिरथी, उर्वशी, कुरुक्षेत्र, संस्कृति के चार अध्याय, परशुराम की प्रतीक्षा, हुंकार, हाहाकार, चक्रव्यूह, आत्मजयी, वाजश्रवा के बहाने आदि। |
उल्लेखनीय पुरस्कार | 1959: साहित्य अकादमी पुरस्कार 1959: पद्म भूषण 1972: भारतीय ज्ञानपीठ |
उनकी स्कूल का नाम | मोकामाघाट हाई स्कूल |
कॉलेज का नाम | पटना विश्वविद्यालय |
रामधारी सिंह दिनकर जीवनी परिचय (Ramdhari Singh Dinkar Biography)
राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ईo में बिहार के बेगुसराय जिला के सिमरिया में एक ब्रह्मण परिवार में हुआ था। दिनकर जी के पिता जी का नाम श्री रवि सिंह जो की एक किसान थे, अपने गांव में खेती करते थे। माता का नाम श्रीमती मनरूप देवी जो एक गृहणी और उनका एक बड़ा भाई ही जिसका नाम बसंत सिंह थे।
दो वर्ष के उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया था। तब से रामधारी सिंह दिनकर पालन पोषण उनका बड़ा भाई बसंत सिंह और उनकी मां ने की। बचपन से ही उन्हें बहुत सारी आर्थिक संकटों का सामना करना परा था, उनका बचपना गांव के खेतों की हरियाली, बांस के झाड़ियों और आम के बगीचे में गुजता था। उन्हें विद्यार्थी जीवन से ही कविता लिखने का शौक था।
रामधारी सिंह दिनकर का शिक्षा (Ramdhari singh dinkar education)
रामधारी सिंह दिनकर का प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत के एक पंडित से प्राप्त किए फिर उन्होंने अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय में किए। उसके बाद उन्होंने निकटवर्ती बोरो नाम के गांव के ‘राष्ट्रीय मिडिल स्कूल’ में दाखिला लिए जोकि सरकारी siksha ke विरुद्ध में कोला गया था। यही से उनके मन में राष्ट्रीयता और राष्ट्र भक्ति का विकास हुआ।
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हाई स्कूल की शिक्षा के लिए मोकामा घाट स्थित रेलवे हाई स्कूल में नामांकन कराए,और हाई स्कूल की परिक्षा के हिंदी विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए, और उन्हें भूदेव नमक स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। 1932 में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास से B.A. में ग्रेजुएशन किए। और उनका पसंदीदा विषय इतिहास, राजनेतिकशास्त्र, और दर्शनशास्त्र था। दिनकर जी ने भारत के कई भाषावो का गहन अध्यन की थे, जैसे:– हिंदी, संस्कृत, मैथिली, बंगला, उर्दू और अग्रेजी।
रामधारी सिंह दिनकर की विवाह और परिवार (Ramdhari Singh Dinkar marriage and family)
जब राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर हाई स्कूल में बढ़ाई कर रहे थे उसी समय उनका सादी होगया था। और कुछ दिन बाद उनके घर एक बेटे का जन्म हुआ ।
रामधारी सिंह दिनकर की केरियर (Ramdhari Singh Dinkar career)
रामधारी सिंह दिनकर बी. ए. ग्रजुएशन करने के बाद वे एक विद्यालय में अधियापक के रूप नियुक्त किया गया। 1934ईo से उन्होंने बिहार सरकार के सेवा में सब रजिस्ट्रार के प्रचार विभाग में एक उपनिदेशक पद पर सीतामढ़ी काम किया। और 1947ईo में उन्होंने कार्य छोर दिया। 1950ईo में उन्होंने मुजफ्फरपुर कालेज में हिंदी विभाग के अधियच्छ रहे थे। 1952ईo से 1963ईo तक राज्यसभा के सदस्य रहे थे। 1964ईo में भागलपुर विश्वविद्याय में उपकुलपति के पद पर कार्य किए। और फिर दिनकर जी ने 1965 से 1971 तक भारत सरकार का हिंदी सलाहकार रहे थे।और उस समय वे दिल्ली में रहते थे।
रामधारी सिंह दिनकर ने कुछ द्वंद्वगीत की रचना की और ज्वार अमर, रेणुक, हुंकार, रसवंती की रचना किए थे। जब रामधारी सिंह दिनकर की किताबे और द्वंदगीत प्रकाशित हुआ तो अंग्रेजी प्रशंसकों को समझा में गाय की हमने अपने तंत्र का अंग किसी गलत वेक्टि को बनाया है। उसके दिनकर जी का फेल तैर किया गाय और उन्हें बात बात पर चेतावनी दिया जाता था, और दिनकर जी को 4 वर्ष में 22 बार उनका तबादला हुआ था।
रामधारी सिंह दिनकर बारे मधुर स्वभाव के वेक्टी थे पर जब देश की हित अहित की बात अति ही तो खुल कर अपने कविताओं से विरोध करते थे। दिनकर जी ने कुछ पंक्तियां पंडित जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ सुनाए थे। जिससे पूरे देश में अफरा तफरी मच गया था।मजे की बात यह की पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ही दिनकर जी को राज्यसभा के सांसद नुयूक्त किए थे,फिर भी उनके नीतियों के खिलाफ खड़ा होने में नही चुके।
20 जून 1962 में दिनकर जी ने भरी सभा में नेहरू जी को कहा अपने हिंदी भाषा को राष्ट्रीय भाषा इसलिए बनाए ही की हमारे देश के लोगो को रोज अपशब्द सुनाए जा सके।
उन्होंने कहा की हमारे देश में जब हिंदी को लेकर कोई बात होती है तो नेता और बुद्धिजीवी लोगो को उपसब्द कहे बिना नहीं रहते। और पता नहीं इस प्रॉपर्टी का आरंभ किसने किया लेकिन मैं अपने देश के प्रधानमंत्री को इस परिपाटी का कारण मानता हूं। पता नहीं हमारे देश की भाषा हिंदी का क्या किस्मत है जो हमारे देश के प्रधानमंत्री भी कुछ नहीं कहते हैं।
परंतु मैं और हमारे देश वासी आप से पूछना चाहते हैं कि हिंदी को हमारे देश की राष्ट्रभाषा इसलिए बनाया की रोज हमे अपशब्द सुनाएं। क्या आपको पता भी है इसका दुष्परिणाम क्या होगा। मैं इस सभा में कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री हिंदी भाषा की निंदा करना बंद किया जाए। जब हिंदी भाषा की निंदा होती है तो हमारे देश की आत्मा को गहरी चोट पहुंचती है।
रामधारी सिंह दिनकर पुरस्कार और सम्मान (Ramdhari Singh Dinkar aword and honor)
- रामधारी सिंह दिनकर को भारत के U.P. सरकार ने काशी नगरी प्रचारिणी सभा में रचना कुरुक्षेत्र के लिए सम्मानित किया गया था।
- 1959ईo में संस्कृति के चार अध्यान के लिए साहित्य अकादमी से सम्मानित और राजेंद्र प्रसाद ने दिनकर जी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
- भागलपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन उपकुलपति और बिहार के राज्यपालजाकिर हुसैन ने डाक्ट्रेट के उपाधि से सम्मानित किया।
- गुरु महाविद्यालय ने रामधारी सिंह दिनकर को वाचस्पीति के लिए नुक्त किया गया थ।
- 1968ईo में राजस्थान विद्यापीठ ने दिनकर जी को साहित्य चुरामणि से सम्मानित किया था।
- काव्य रचना उर्वशी के लिए 1972 में दिनकर जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- रामधारी सिंह दिनकर को 1952में राज्यसभा के लिए नुक्त किया गयाऔर वे लगातार तीन बार राज्यसभा के सदस्य बने रहे।
- मैथलीशरण गुप्ता के बाद रामधरी सिंह दिनकर को राष्ट्रकवि की उपाधि मिली और इनके नाम के साथ हमेशा के लिए जुड़ा गया।बाद में उन्हें ‘द्वेवेदी पदक’ और ‘डी. लिट.’ उपाधि दी गायी।
रामधारी सिंह दिनकर की मृत्यु (Ramdhari Singh Dinkar Death)
राष्ट्रीय कवी रामधारी सिंह दिनकर की की मृत्यु 24 अप्रैल 1974 (जब उनका उम्र 65 वर्ष) भारत के तमिलनाडु राज्य मद्रास में हुए था और रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रीय कवि हमेशा के लिए अस्त हो गए
मरणोपरांत सम्मान (posthumous honor)
- भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने 30 दिसंबर 1987 को उनकी 79 बी जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि दी थी
- 1999 में रामधारी सिंह दिनकर को भारत “भाषाई सभ्दावना” का मान्यता के लिए भारत सरकार द्वारा स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।
- दिनकर जी के 50 बी वर्षगांठ के बाद भारतीय संघ ने हिंदी भाषा को अपना आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था।
- सूचना कार्ड और प्रसारण मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री श्री प्रिया रंजन दासमुंशी के द्वार उनकी जन्म दिन पर कुछ पुस्तके प्रकाशित किया गया, जिसमे व्यक्तिकर्तव्य और कर्तव्य पुस्तक प्रसिद्ध और यह पुस्तक खगेंद्र ठाकुर द्वारा लिखा गया था।
- रामधारी सिंह दिनकर को 23 सितंबर 2008 को उनकी 100 बी जयंती पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना दिनकर चौक पर उनकी प्रतिमा को फूलों से श्रद्धांजलि दिया था।
- दिनकर जी के जन्मदिन के अवसर पर कालीघाट विश्वविद्यालय में एक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित किया गया था।
- 22 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर नई दिल्ली समारोह आयोजित किया गया था।
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रामधारी सिंह दिनकर की परमुख रचनाएं और कविताएं
रामधारी सिंह दिनकर के एक महान कवी है और इन्हें भर के राष्ट्रकवी की उपाधि दी गई। उन्होंने कई सारेरचनाएँ किए है जैसे की गघ, पद और कबिताओं की रचनाएँ की है उन में से कुछ प्रमुख निचे दिए गए है।
रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ
- परंपरा
- परिचय
- दिल्ली
- झील
- वातायन
- समुद्र का पानी
- कृष्ण की चेतावनी
- ध्वज-वंदना
- आग की भीख
- बालिका से वधू
- जियो जियो अय हिन्दुस्तान
- कुंजी
- परदेशी
- एक पात्र
- एक विलुप्त कविता
- गाँधी
- आशा का दीपक
रामधारी सिंह दिनकर की कवितायेँ
- रेणुका (1935)
- हुंकार (1938)
- रसवन्ती (1939)
- द्वन्द्वगीत (1940)
- कुरुक्षेत्र (1946)
- धूपछाँह (1946)
- सामधेनी (1947)
- बापू (1947)
- इतिहास के आँसू (1951)
- धूप और धुआँ (1951)
- रश्मिरथी (1954)
- नीम के पत्ते (1954)
- नील कुसुम (1955)
- नये सुभाषित (1957)
- सीपी और शंख (1957)
- चक्रवाल (1956)
- सपनों का धुआँ
- रश्मिमाला
- भग्न वीणा
- समर निंद्य है
- समानांतर
- अमृत-मंथन
- लोकप्रिय दिनकर (1960)
- दिनकर की सूक्तियाँ (1964)
निष्कर्ष
हेलो दोस्तो हम उम्मीद करते हैं, की आपको “लॉरेंस “Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi” जीवनी पसंद आया होगा,अगर आपको मेरा आर्टिकल पसंद आया हो तो आप अपने दोस्तो के साथ शेयर करे और इस से जुड़ी कोई जानकारी हो तो कमेंट में जरूर बताएं, ताकि लोगो को भी यह जानकारी मिल सके, धन्यवाद!
Q. रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कब हुआ था ?
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ईo में बिहार के बेगुसराय जिला के सिमरिया में एक ब्रह्मण परिवार में हुआ था।
Q. रामधारी सिंह दिनकर की मृत्यु कब हुई थी ?
रामधारी सिंह दिनकर की मृत्यु 24 अप्रैल 1974 (जब उनका उम्र 65 वर्ष) भारत के तमिलनाडु राज्य मद्रास में हुए था
Q. रामधारी सिंह दिनकर के पिता का नाम
रामधारी सिंह दिनकर के पिता का नाम बाबू रवि सिंह है।
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