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के. के. पाठक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के उन अधिकारियों में से हैं, जिनका नाम अक्सर सख्त कार्यशैली, विवादों और निर्भीक फैसलों के लिए चर्चा में रहता है। 1990 बैच के इस अधिकारी ने बिहार प्रशासनिक व्यवस्था में कई जिम्मेदार पदों पर कार्य किया है। वे जितने कुशल प्रशासक माने जाते हैं, उतने ही विवादों से भी घिरे रहे हैं।इस लेख में हम के. के. पाठक के जीवन, शिक्षा, करियर, विवादों और उनके सार्वजनिक व्यवहार की पूरी जानकारी देंगे।
के.के.पाठक का जीवनी परिचय | K. K. Pathak IAS Biography in Hindi
पूरा नाम | केशव कुमार पाठक |
प्रसिद्ध नाम | के. के. पाठक |
पेशा | भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS अधिकारी) |
बैच | 1990 |
जन्म तिथि | 15 जनवरी 1968 (सोमवार) |
उम्र (2023 तक) | 55 वर्ष |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राशि | मकर |
शैक्षणिक योग्यता | एम.फिल (अर्थशास्त्र), स्नातक (अर्थशास्त्र) |
वर्तमान पद | अपर मुख्य सचिव, मद्य निषेध विभाग, बिहारमहानिदेशक – BIPARD |
पूर्व पद | प्रबंध निदेशक – NHAIDCL, प्रधान सचिव – उद्योग विभाग आदि |
पिता का नाम | मेजर जी. एस. पाठक (सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी) |
वैवाहिक स्थिति | ज्ञात नहीं |
ऊँचाई | 5 फीट 9 इंच (लगभग 175 सेमी) |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | अर्ध-गंजा (काले रंग के साथ) |
प्रसिद्धि का कारण | डिप्टी कलेक्टर और BASA अधिकारियों को गाली देने वाला वायरल वीडियो |
मुख्य विवाद | पत्रकार से मारपीट (1990), कोर्ट से जुर्माना (2018), धमकी के आरोप (2019), वायरल वीडियो (2023) |
रूचियाँ | प्रशासनिक सुधार, नियमों का कड़ाई से पालन |
भाषाएँ | हिंदी, अंग्रेज़ी |
के. के. पाठक प्रारंभिक जीवन और शिक्षा | K. K. Pathak personal life and education
के. के. पाठक का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक और फिर एम.फिल की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान ही उनमें प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा जगी। मेहनत और लगन से उन्होंने UPSC परीक्षा पास की और 1990 बैच में IAS अधिकारी बने।
उनके पिता मेजर जीएस पाठक भी बिहार सरकार में उच्च पद पर कार्यरत रहे हैं, जिससे उन्हें प्रशासनिक परिवेश बचपन से ही मिला।
के. के. पाठक की पारिवारिक जानकारी सीमित रूप से ही सार्वजनिक है, लेकिन जो जानकारी उपलब्ध है, वह नीचे दी गई है:
के. के. पाठक का परिवार (K. K. Pathak Family)
- पिता का नाम: मेजर जी. एस. पाठक
वे बिहार सरकार में प्रधान सचिव (लघु जल संसाधन विभाग) के पद पर कार्यरत रह चुके हैं। उनके प्रशासनिक करियर ने संभवतः के. के. पाठक को सिविल सेवा के लिए प्रेरित किया। - मां का नाम: सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है।
- वैवाहिक स्थिति: ज्ञात नहीं है।
अब तक के मीडिया रिपोर्ट्स में उनकी शादी या पत्नी के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। - संतान: जानकारी उपलब्ध नहीं है।
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के. के. पाठक का प्रशासनिक करियर| K. K. Pathak administrative career
पाठक ने अपने करियर की शुरुआत गिरिडीह (झारखंड) के डिप्टी कमिश्नर के रूप में की। इसके बाद वे कई जिलों और विभागों में कलेक्टर, सचिव और प्रधान सचिव के पदों पर कार्यरत रहे।
कुछ प्रमुख पद:
- जिलाधिकारी, गोपालगंज (2005)
- सचिव, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग (2016, 2021)
- प्रधान सचिव, उद्योग विभाग
- प्रबंध निदेशक, NHIDCL (2019)
- CEO, बिहार फाउंडेशन
- महानिदेशक, BIPARD (बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान)
के. के. पाठक का कार्यशैली | K. K. Pathak working style
के. के. पाठक की कार्यशैली हमेशा से ही सख्त और अनुशासनप्रिय रही है। वे सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही के बड़े पक्षधर माने जाते हैं। उन्होंने कई बार भ्रष्टाचार और ढीली प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।
2016 में जब बिहार में शराबबंदी लागू हुई थी, तो वे मद्य निषेध विभाग में अहम भूमिका में थे। उस समय सरकार ने उन्हें अन्य 9 अधिकारियों के साथ ट्रांसफर कर दिया था, लेकिन उनकी छवि एक सख्त अधिकारी के रूप में बनी रही।
के. के. पाठक के कुछ प्रमुख विवाद | K. K. Pathak some important controversy
के. के. पाठक जितने प्रभावशाली अधिकारी माने जाते हैं, उतने ही विवादों में भी रहे हैं। आइए उनके कुछ प्रमुख विवादों पर नजर डालते हैं:
1. पत्रकार पर हमला (1990)
गिरिडीह में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए उन्होंने एक पत्रकार को गलत रिपोर्टिंग के आरोप में पीट दिया था।
2. बैंक मैनेजर्स पर केस और जुर्माना (2016-18)
पाठक ने स्टाम्प ड्यूटी लेट जमा करने पर SBI के सात ब्रांच मैनेजर्स के खिलाफ केस दर्ज किया, जिसके कारण पटना हाईकोर्ट ने 1.75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
3. ठेकेदार को धमकी (2019)
एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के डायरेक्टर ने आरोप लगाया कि पाठक ने उन्हें डंडे से पीटने और जान से मारने की धमकी दी।
4. BASA को गाली देना (2023)
2 फरवरी 2023 को एक बैठक में पाठक ने डिप्टी कलेक्टर और BASA (बिहार प्रशासनिक सेवा संघ) को गाली दी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद प्रशासनिक हलकों में भारी नाराजगी देखी गई।
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विवेक कुमार विवाद
इस घटना का संबंध एक अन्य विवाद से भी जोड़ा गया, जिसमें एक प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर विवेक कुमार की मौत हो गई थी। माना गया कि पाठक द्वारा सार्वजनिक रूप से अपमानित किए जाने के बाद विवेक कुमार मानसिक तनाव में आ गए थे।
BASA ने इस घटना के बाद पाठक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा गया।
के. के. पाठक का शिक्षा मंत्री से तनातनी
4 जुलाई 2023 को बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पाठक को पत्र लिखकर विभागीय कार्यशैली पर असंतोष जताया। पाठक ने जवाबी कार्रवाई में उनके सचिव के शिक्षा विभाग में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।
बाद में यह मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव तक पहुंचा, लेकिन पाठक अपने फैसले पर कायम रहे।
के. के. पाठक की प्रशंसा और आलोचना | K. K. Pathak Praise and criticism
जहां कुछ लोग के. के. पाठक की सख्त कार्यशैली को प्रशासनिक सुधार का माध्यम मानते हैं, वहीं कई लोग उन्हें घमंडी और तानाशाही रवैया रखने वाला अधिकारी भी कहते हैं।
BASA के महासचिव सुनील तिवारी ने उनके व्यवहार को “मानसिक असंतुलन” बताया और तुरंत कार्रवाई की मांग की। वहीं विपक्षी नेताओं ने भी उन्हें बर्खास्त करने की मांग की।
के. के. पाठक की कुछ रोचक जानकारियां | K. K. Pathak some interesting fact
- 2005 में जब वे गोपालगंज के जिलाधिकारी थे, तब उन्होंने एक अस्पताल का उद्घाटन किसी मंत्री या सांसद से नहीं, बल्कि एक सफाईकर्मी से करवाया था। यह कदम जनता के बीच काफ़ी सराहा गया।
- वे लोगों से सीधे संवाद करने में विश्वास रखते हैं। 2021 में मद्य निषेध विभाग का कार्यभार संभालते ही उन्होंने अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर दिया था, ताकि आम जनता उनसे शराब से जुड़ी शिकायतें सीधे कर सके।
- के. के. पाठक BIPARD (बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान) के महानिदेशक भी हैं, जहाँ वे अधिकारियों को प्रशिक्षण देते हैं। उनकी सख्ती और अनुशासन के लिए वे काफ़ी चर्चित हैं।
- वे अपने सख्त व्यवहार और स्पष्ट बोलने की शैली के कारण कई बार विवादों में आ चुके हैं। 2023 में BASA अधिकारियों के प्रति अभद्र भाषा के इस्तेमाल के बाद उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा।
- वे सत्ता पक्ष या विपक्ष से प्रभावित हुए बिना प्रशासनिक निर्णय लेते हैं, और कई बार इसके चलते उन्हें मंत्रियों से टकराव का भी सामना करना पड़ा है।
- जनता की नज़र में के. के. पाठक एक ऐसे अधिकारी हैं जो ईमानदार हैं, लेकिन गुस्से में नियंत्रण नहीं रख पाते।
- जहाँ कई आईएएस अधिकारी सम्मान या पुरस्कारों के लिए जाने जाते हैं, वहीं पाठक साहब अपने विवादित बयानों, सख्त रवैये और कड़े फैसलों के लिए चर्चा में रहे हैं।
निष्कर्ष:
के. के. पाठक एक ऐसे प्रशासनिक अधिकारी हैं जिनका जीवन सख्त अनुशासन, कड़े फैसलों और विवादों का मिश्रण रहा है। वे एक ओर जहां ईमानदारी और पारदर्शिता के प्रतीक माने जाते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके गुस्सैल व्यवहार और अपमानजनक भाषा ने उन्हें विवादों का चेहरा बना दिया है।
बिहार जैसे राज्य में जहां प्रशासनिक सुधार की अत्यधिक आवश्यकता है, वहां पाठक जैसे अधिकारियों की भूमिका अहम होती है — बशर्ते वे संवेदनशीलता और संयम के साथ काम करें। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि एक प्रभावशाली प्रशासक होने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान और लीडर बनना भी जरूरी है।