UPSC 2024 Topper Ravi Raj, Drishtibadhit UPSC Topper, Bihar UPSC Success Story, Ravi Raj IAS Rank 182, Ravi Raj Mother Support, UPSC Motivation Story Hindi, Divyang Topper UPSC, Raviraj Nawada Biography, UPSC With Disability, UPSC Inspirational Story

जब हौसले बुलंद हों और मां का साथ हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं रहती। बिहार के नवादा जिले के महुली गांव के रहने वाले दृष्टिबाधित रवि राज ने इस कहावत को सच साबित किया है। आंखों की रोशनी न होने के बावजूद रवि ने अपनी मेहनत और मां की ममता की रोशनी से UPSC 2024 में ऑल इंडिया रैंक 182 हासिल कर पूरे देश को गर्व महसूस कराया है।
रवि राज केलिए नेत्रहीनता कोई बाधा नहीं बनी
रवि राज जन्म से नेत्रहीन हैं। लेकिन इस शारीरिक चुनौती को उन्होंने कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। रवि के लिए उनकी मां विभा सिन्हा ही आंखें बनीं। मां ने बेटे को पढ़ाने, समझाने और लिखवाने तक हर मोर्चे पर साथ निभाया। जहां आम बच्चों की पढ़ाई किताबों से होती है, वहीं रवि की पढ़ाई मां की आवाज़ और त्याग से हुई।
रवि राज और मां की अटूट साझेदारी
रवि की सफलता केवल एक विद्यार्थी की नहीं बल्कि एक मां-बेटे की साझेदारी की जीत है। विभा सिन्हा ने घर के सारे कामों के साथ रवि को पढ़ाने का ज़िम्मा भी उठाया। वह घंटों तक रवि को किताबें पढ़कर सुनाती थीं। रवि जब भी कुछ समझना चाहते, मां उसे विस्तार से समझातीं और जरूरत पड़ने पर खुद से नोट्स भी तैयार करती थीं। परीक्षा की तैयारी के दौरान, जब रवि YouTube पर ऑडियो लेक्चर सुनते, तो मां उन्हें किचन में काम करते हुए भी ध्यान से सुनतीं और फिर रवि जो बोलते, वह उसे लिख देतीं।
रवि राज का शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
रवि राज का बचपन नवादा जिले में बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दयाल पब्लिक स्कूल, नवादा से प्राप्त की। इसके बाद एसएन इंटर कॉलेज, नवादा से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। 2021 में रवि ने एसआरएस कॉलेज, नवादा से राजनीतिक विज्ञान (Political Science) में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
रवि राज का UPSC करियर की शुरुआत
रवि ने शुरुआत से ही UPSC को अपना लक्ष्य बना लिया था। उन्होंने BPSC 69वीं परीक्षा में भी उल्लेखनीय सफलता पाई थी, जहां उन्हें 490वीं रैंक (ओवरऑल) और दृष्टिबाधित वर्ग में प्रथम स्थान मिला था। उन्हें रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्होंने UPSC की तैयारी के लिए छुट्टी ले ली और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो गए।
तीसरे प्रयास में रवि ने UPSC 2024 की परीक्षा पास की और पूरे देश में मिसाल कायम कर दी। उन्होंने साबित किया कि अगर इरादे नेक हों और मेहनत में कोई कमी न हो, तो सफलता ज़रूर मिलती है।
संघर्षों से भरी थी राह
दृष्टिबाधिता जैसी चुनौती के बीच पढ़ाई करना आसान नहीं था। लेकिन रवि ने कभी हार नहीं मानी। उनकी मां ने उनकी हर ज़रूरत को समझा और खुद को बेटे की पढ़ाई में झोंक दिया। यहां तक कि परीक्षाओं में राइटर (लेखक) की भूमिका भी मां ने ही निभाई।
रवि कहते हैं, “मेरी सफलता केवल मेरी नहीं है। मेरी मां ने मेरे साथ हर कदम पर संघर्ष किया। उन्होंने अपने जीवन को मेरे सपनों के लिए समर्पित कर दिया।”
रवि राज को प्रशासन से मिला सम्मान
UPSC में सफलता पाने के बाद नवादा के जिलाधिकारी रवि प्रकाश ने रवि से मुलाकात की और उन्हें मिठाई, मोमेंटो और पुष्पगुच्छ भेंट कर बधाई दी। डीएम ने कहा, “यह केवल रवि की नहीं, बल्कि पूरे नवादा जिले की उपलब्धि है। ऐसे प्रतिभाशाली छात्रों को प्रोत्साहन देना प्रशासन की प्राथमिकता है।” उन्होंने विभा सिन्हा की भी प्रशंसा करते हुए कहा, “ऐसी मां को सलाम जिन्होंने अपने बेटे के सपनों को जीने का साहस दिखाया।”
खान सर ने भी रवि राज की तारीफ की
बिहार के चर्चित शिक्षक खान सर ने भी रवि की सफलता पर प्रतिक्रिया दी और उनके जज़्बे की तारीफ की। उन्होंने कहा कि रवि जैसे विद्यार्थियों की मेहनत और लगन हम सभी के लिए प्रेरणा है।
रवि की रणनीति और तैयारी का तरीका
रवि ने बताया कि उन्होंने YouTube से ऑडियो लेक्चर सुने और महत्वपूर्ण टॉपिक्स को मां के साथ चर्चा करके दोहराया। नोट्स बनवाने में भी उनकी मां ने बड़ी भूमिका निभाई। दृष्टिबाधित छात्रों के लिए रवि की यह सफलता एक उदाहरण है कि सही रणनीति, डिजिटल संसाधनों का उपयोग और पारिवारिक सहयोग से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
युवाओं को संदेश
रवि राज की कहानी उन लाखों छात्रों को प्रेरणा देती है जो किसी न किसी चुनौती से जूझ रहे हैं। वह बताते हैं, “अगर किसी के पास मजबूत इच्छाशक्ति और मां जैसे साथ हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।” उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि सच्ची मेहनत और समर्पण से हर बाधा को पार किया जा सकता है।
निष्कर्ष
रवि राज की कहानी केवल UPSC पास करने की नहीं है, यह संघर्ष, समर्पण और ममता की मिसाल है। यह कहानी बताती है कि मां-बेटे की जोड़ी किस तरह असंभव को संभव बना सकती है। रवि आज देशभर के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं और उनका नाम हमेशा उन लोगों में लिया जाएगा जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपना लक्ष्य हासिल किया। इस
यह भी पढ़ें:आईएएस अधिकारी डॉ. एस. सिद्धार्थ का जीवनी परिचय
यह भी पढ़ें:कैफे से IAS बनने तक का संघर्षभरा सफर जो हर हारने वाले को देगा नई उम्मीद