चायवाले का बेटा बना देश का सबसे युवा IAS अधिकारी – जानिए सफिन हसन की हैरान कर देने वाली कहानी!

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Tea seller's son becomes the country's youngest IAS officer - Know the astonishing story of Safin Hasan!

भारत के सबसे युवा IAS ऑफिसर सफिन हसन की संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक कहानी

सपनों को सच करने के लिए पैसे नहीं, हौसलों की ज़रूरत होती है। इस बात को सही साबित किया है गुजरात के एक छोटे से गांव के लड़के सफिन हसन ने, जो एक चायवाले का बेटा होने के बावजूद देश का सबसे युवा IAS अधिकारी बनकर उभरा। सफिन की जिंदगी की कहानी सिर्फ संघर्ष नहीं, बल्कि जुनून, आत्मविश्वास और आत्मबलिदान का ऐसा उदाहरण है, जो हर युवा के दिल में आग लगा सकती है।

बचपन गरीबी में बीता, पर सपने बड़े थे

सफिन हसन का जन्म गुजरात के सूरत जिले के एक बेहद साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके माता-पिता हीरा उद्योग में मजदूरी करते थे, जबकि खुद सफिन अक्सर चाय की दुकान पर अपने अंकल की मदद किया करते थे। स्कूल की फीस भरना मुश्किल होता था, लेकिन उन्होंने कभी पढ़ाई से समझौता नहीं किया।

पढ़ाई के लिए जली स्ट्रीट लाइट के नीचे

जब घर में बिजली नहीं होती थी, तब सफिन सड़कों की स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई करते थे। कई बार भूखे पेट पढ़ा, कई बार नींद को नजरअंदाज किया। स्कूल के दिनों से ही उनके मन में था कि उन्हें कुछ बड़ा करना है, और उन्होंने ठान लिया कि IAS बनना है।

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IIT की तैयारी छोड़ UPSC की ओर रुख

सफिन ने गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से B.Tech किया। वे इंजीनियरिंग के बाद विदेश जाकर पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ने उन्हें रोक दिया। इसी बीच उन्होंने UPSC के बारे में पढ़ा और फैसला लिया कि अब IAS ही बनना है।

पहले ही प्रयास में UPSC इंटरव्यू तक पहुंचे

सफिन ने जब पहली बार UPSC की परीक्षा दी, तब वे अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई ही कर रहे थे। बिना किसी कोचिंग और सिर्फ सेल्फ स्टडी से उन्होंने पहले ही प्रयास में इंटरव्यू तक का सफर तय किया, हालांकि उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया।

दूसरी बार में कर दिखाया कमाल

सफिन ने हार नहीं मानी। दूसरे प्रयास में उन्होंने UPSC 2017 में 570वीं रैंक हासिल की और महज 22 साल की उम्र में IAS अधिकारी बन गए। उन्होंने साबित कर दिया कि यदि मन में सच्ची लगन हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

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ट्रेनिंग के दौरान भी दिखाया जज्बा

IAS बनने के बाद जब उन्हें लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी, मसूरी में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया, तो वहां भी सफिन ने अनुशासन और मेहनत में कोई कमी नहीं आने दी। ट्रेनिंग के दौरान वे चोटिल भी हुए लेकिन फिर भी पूरे समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करते रहे।

आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं सफिन

आज सफिन हसन ना केवल एक आईएएस अधिकारी हैं, बल्कि देश के युवाओं के लिए एक मिसाल भी हैं। वे समय-समय पर मोटिवेशनल सेमिनार में हिस्सा लेते हैं, और सोशल मीडिया के ज़रिए लाखों युवाओं को UPSC की तैयारी के लिए प्रेरित करते हैं।

निचोड़: मेहनत से ही मिलती है मंज़िल

सफिन हसन की कहानी हमें सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर आपके इरादे मजबूत हैं तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। गरीबी, संघर्ष और असफलताओं के बावजूद सफिन ने दिखा दिया कि “इंसान की पहचान उसके हालात से नहीं, उसके हौसलों से होती है।”

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