अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की जीवनी परिचय | Rakesh Sharma Biography in Hindi 

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संभावना है कि जहाँ विज्ञान में मानवता के लिए एक बड़ा कदम था, वहीं यह एक व्यक्ति के लिए रोमांच से भरपूर था कि वह अंतरिक्ष में जा सकेगा. इतिहास में, अमेरिका और सोवियत संघ ने पहले ही अंतरिक्ष में यात्रा की थी, लेकिन एक नये खिलाड़ी और विकसित देश के लिए यह अत्यधिक महत्वपूर्ण था. भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने एक नया इतिहास रचा, जब उन्होंने अंतरिक्ष में यात्रा की. 1984 में, राकेश शर्मा ने सोयुज टी-11 अंतरिक्षयान के साथ अंतरिक्ष में यात्रा की, जहाँ उन्होंने 8 दिनों तक अंतरिक्ष में रहकर सोल्युज-7 अंतरिक्ष केंद्र में विश्राम किया. उन्होंने उत्तरी भारत के दृश्य लिए और गुरुत्वाकर्षण के बिना उड़ान भरने के साथ-साथ योग भी किया. राकेश शर्मा भारत के 138वें अंतरिक्ष यात्री बने और उनकी यात्रा हर भारतीय के लिए गर्व का स्रोत बनी।  

राकेश शर्मा की जीवनी परिचय | Rakesh Sharma Biography in Hindi 

संक्षिप्त परिचय

परिचय बिंदुपरिचय
पूरा नाम (Full Name)राकेश शर्मा
पेशा (Profession)अंतरिक्ष यात्री, भारतीय एयर फ़ोर्स पायलट
प्रसिध्य है (Famous for)पहले भारतीय जो अन्तरिक्ष गए थे
जन्म (Birth)13 जनवरी 1949
उम्र (Age)70
जन्म स्थान (Birth Place)पटियाला पंजाब
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय
गृहनगर (Hometown)हैदराबाद
जाति (Caste)ब्राह्मण
राशीमकर
अन्तरिक्ष में रहे7 दिन 21 घंटे, 40 मिनिट
पसंद (Hobbies)घूमना, रीडिंग, योग
वैवाहिक स्थिति (Marital Status)विवाहित
मुख्य अवार्ड·    अशोक चक्र ·    संग्राम मैडल·    विदेश सेवा सर्विस मैडल·    9 साल लॉन्ग सर्विस मैडल·    हीरो ऑफ़ दी सोवियत संघ

कौन है राकेश शर्मा (who is Rakesh Sharma)

राकेश शर्मा एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे, जिन्होंने अंतरिक्ष में यात्रा की और एक नया इतिहास रचा। विज्ञान के क्षेत्र में इनका महत्वपूर्ण योगदान था। उनका जन्म भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी के रूप में हुआ था और वे भी एक उच्च शिक्षित व्यक्ति थे।

राकेश शर्मा का एक महत्वपूर्ण दिन 2 अप्रैल 1984 का था, जब वे सोवियत अंतरिक्षयान सोयुज टी-11 में सवार होकर अंतरिक्ष यात्रा के लिए निकले। उनकी यात्रा के दौरान वे 8 दिनों तक सोवियत रूस के अंतरिक्ष केंद्र सोल्युज-7 में रहे और वहां से अंतरिक्ष से उत्तरी भारत के चित्र भी लिए। उन्होंने वहां गुरुत्वाकर्षणहीन उड़ान भरते हुए योगाभ्यास भी किया।

राकेश शर्मा भारत के इतिहास में 138वें अंतरिक्ष यात्री बने और उनका योगदान हर भारतीय के लिए एक गर्व का विषय रहा। उनकी यात्रा ने भारत को अंतरिक्ष में एक महत्वपूर्ण स्थान पर पहुंचाया और उनके साहस और संघर्ष का प्रतीक बना। उनका योगदान हमारे देश की गरिमा और प्रगति को प्रकट करता है।

राकेश शर्मा का जन्म और प्रारंभिक जीवन (Rakesh Sharma Birth and Early life)

भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। उनकी माता का नाम तृप्ता शर्मा और पिता का नाम देवेन्द्र शर्मा था। जन्म के बाद, उनके माता-पिता आंध्र प्रदेश के हैदराबाद शहर में बस गए। वहीं पर उन्होंने सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।

शिक्षा प्राप्ति के बाद, राकेश ने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई की और वर्ष 1966 में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) में चयन मिला। उन्होंने ट्रेनिंग प्राप्त करने के लिए वहां जाने का निर्णय लिया।

राकेश शर्मा का कैरियर (Rakesh Sharma career)

राकेश शर्मा को बचपन से ही विज्ञान में रुचि थी। उन्होंने स्कूल के दिनों से ही इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाई थी। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी की ट्रेनिंग पूरी की और फिर भारतीय वायु सेना में टेस्ट पायलट के रूप में भर्ती हो गए। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, उन्होंने मिग विमान का संचालन किया और अपनी योग्यता को साबित किया।

उन्होंने भारतीय वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर के पद तक पहुंचने के साथ ही 1982 में भारत और सोवियत संघ के संयुक्त अंतरिक्ष अभियान में चयन प्राप्त किया। उनका चयन अंतरिक्ष यात्रा के लिए हुआ और 1984 में वे सोयुज टी-11 में साथी यात्री के रूप में अंतरिक्षयान करने गए।

उनकी यात्रा के दौरान, उन्होंने मास्को के सोवियत संघ के अधिकारीयों के साथ मुलाकात की और देश के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी मिलकर बातचीत की। इस अंतरिक्ष मिशन में वे करीब 8 दिन बिताए, जिनमें उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों को संचालित किया।

उनका उत्कृष्ट कैरियर और अंतरिक्ष यात्रा ने भारत को अंतरिक्ष में मानव भेजने वाले विश्व के 14वें देश बनाया। उनकी उपलब्धि ने देशभक्ति और विज्ञान के क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रमोट किया।  

राकेश शर्मा अंतरिक्ष में कब गए थे (When did Rakesh Sharma go to space)

राकेश शर्मा ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा कोई विशेष दिन में नहीं, बल्कि उनकी यात्रा 3 अप्रैल, 1984 को आयोजित की गई थी। इस दिन उन्होंने सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान के साथ अंतरिक्ष में यात्रा की। इसके साथ ही वे भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यात्री बन गए। 

राकेश शर्मा प्रयोग और योगदान (Rakesh Sharma Experiments and Contributions)

राकेश शर्मा ने अपने 7 दिन 21 घंटे 40 मिनट के अंतरिक्ष में बिताए यात्रा के दौरान 43 प्रयोग किए और विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययनों में हिस्सा लिया। उन्होंने बायो मेडिसिन और रिमोट सेंसिंग से संबंधित कार्य किया और अंतरिक्ष स्टेशन से संबंधित जॉइंट टेलीविजन न्यूज़ कांफ्रेंस में भी भाग लिया।

राकेश शर्मा मिशन की समाप्ति (End of Rakesh Sharma mission)

राकेश शर्मा की यात्रा के समापन पर उन्हें भारत लौटने पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आवाज़ दी और उनसे अंतरिक्ष से देखने के बारे में पूछा। उनका प्रतिक्रिया था, “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा”। इसके साथ ही, उनकी यात्रा ने भारत को मानव अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों में शामिल किया। 

राकेश शर्मा अशोक चक्र से सन्मानित (Rakesh Sharma honored with Ashoka Chakra)

राकेश शर्मा को उनके महत्वपूर्ण योगदान के परिणामस्वरूप भारत सरकार ने अशोक चक्र से सम्मानित किया। उन्होंने वायुसेना के विंग कमांडर के तौर पर सेवा की और इसके बाद हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में परीक्षण कर्ता के रूप में कार्य किया। वे सेवानिवृत्ति के बाद H.A.L. नासिक डिवीजन में चीफ टेस्ट पायलट के रूप में भी महत्वपूर्ण कार्य  किए।

राकेश शर्मा की उपलब्धियाँ (Rakesh Sharma Achievements)

  • अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद भारत में उनका गर्मागरम स्वागत हुआ।
  • भारत सरकार ने बहादुरी के लिए दिए जाने वाले सबसे बड़े पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया।
  • सोवियत संघ ने भी भारत के साथ अपनी गहरी मित्रता को जाहिर करते हुए राकेश शर्मा को ‘हीरो ऑफ सोवियत यूनियन’ के पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • वर्ष 1987 में राकेश शर्मा को भारतीय वायु सेना से विंग कमांडर के पद से सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने ‘हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)’ में टेस्ट पायलट के तौर पर कुछ समय की सेवाएं दी।
  • वर्ष 2006 में उन्हें ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)’ के बोर्ड में नामित किया गया।
  • बाद के वर्षों में, वे ‘ऑटोमेटेड वोर्कफलोर’ कंपनी के चेयरमैन भी नियुक्त हुए। 

राकेश शर्मा के बारे में रोचक तथ्य (Rakesh Sharma about interesting fact)

1. पहली भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा 2 अप्रैल 1984 को भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बने थे। उन्होंने सोयूज ट-11 रूसी अंतरिक्ष यान में यात्रा की थी।

2. आपबीती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा: जब राकेश शर्मा को अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया था, तो उनकी आपबीती में यह बात भी है कि उन्होंने मिलिट्री परांपरिकाओं के खिलाफ खरे उतरने की अनुमति मांगी थी ताकि वे स्वतंत्र रूप से उड़ सकें।

3. गांधी जयंती पर उन्होंने किया था प्रयास: राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में अपने देशवासियों के लिए एक बोझ का त्याग किया था। उन्होंने गांधी जयंती पर अपने खुद के स्पेस को सोवियत अंतरिक्ष स्टेशन से अलग होने का  बहुत प्रयास किया था।

4. वायुसेना का साहसी पायलट: पहले अपनी सेना की भरपूर सेवा के बाद, राकेश शर्मा ने भारतीय वायुसेना के साहसी पायलट के रूप में अपनी नामचीनी पहचान बनाई।

5. उन्होंने साइंस और टेक्नोलॉजी में शिक्षा प्राप्त की: राकेश शर्मा ने अपनी शिक्षा में साइंस और टेक्नोलॉजी का मास्टर्स डिग्री प्राप्त की थी, जिसने उन्हें अंतरिक्ष के क्षेत्र में उनके योगदान को मान्यता दिलाई।

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