
भारत में IAS अधिकारी बनना लाखों युवाओं का सपना होता है। लेकिन क्या हो जब कोई इस प्रतिष्ठित पद को छोड़कर पूरी तरह से फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख कर ले? और अगर उसकी पहली ही फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिल जाए, तो यकीनन यह किसी फिल्म की कहानी जैसी ही लगेगी। ऐसी ही एक प्रेरणादायक और दिलचस्प कहानी है IAS अधिकारी पापा राव बियाला की, जिन्होंने अपने लंबे प्रशासनिक करियर को अलविदा कहकर सिनेमा की दुनिया में कदम रखा और इतिहास रच दिया।
प्रशासनिक सेवा से फिल्म निर्माण तक का सफर
पापा राव बियाला, जो पहले बीवीपी राव (BVP Rao) के नाम से जाने जाते थे, 1982 बैच के IAS अधिकारी रहे हैं। उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की थी और अपने 30 साल से ज्यादा लंबे करियर में असम, तेलंगाना और केंद्र सरकार में कई अहम पदों पर काम किया।
1994 से 1997 तक वे असम के गृह सचिव रहे। बाद में वे संयुक्त राष्ट्र के कोसोवो मिशन में शामिल हुए और वहां सिविल अफेयर्स ऑफिसर के रूप में सेवाएं दीं। इतना ही नहीं, 2014 से 2019 तक वे तेलंगाना सरकार में नीति सलाहकार भी रहे, जिसे कैबिनेट मंत्री के दर्जे के बराबर माना जाता है।
फिल्मी जुनून की शुरुआत
IAS बनने के बाद भी पापा राव बियाला के दिल में एक कलाकार छिपा बैठा था। उन्हें फिल्मों से गहरा लगाव था, लेकिन व्यस्त प्रशासनिक जीवन में इसे समय देना आसान नहीं था। 90 के दशक में उनके करीबी मित्र और मशहूर थिएटर कलाकार टॉम ऑल्टर ने उन्हें प्रेरित किया और उनकी मुलाकात राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक जाह्नू बरुआ से करवाई।
इसके बाद उन्होंने 1996 में न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी से फिल्म मेकिंग का डिप्लोमा किया और यहीं से उनका फिल्मी सफर शुरू हुआ।
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पहली डॉक्यूमेंट्री और नेशनल अवॉर्ड
उनकी पहली शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री “Willing to Sacrifice” थी, जो पर्यावरण संरक्षण पर आधारित थी। इस डॉक्यूमेंट्री को सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इससे साफ हो गया कि पापा राव सिर्फ एक अफसर ही नहीं, एक बेहतरीन फिल्मकार भी हैं।
प्रशासन को अलविदा, कैमरे को सलाम
हालांकि डॉक्यूमेंट्री बनाने के बाद वे फिर से प्रशासन में लौटे, लेकिन उनके अंदर की रचनात्मक ऊर्जा अब रुकने वाली नहीं थी। आखिरकार 2020 में, उन्होंने भारतीय खेल प्राधिकरण से इस्तीफा दे दिया और फुल टाइम फिल्म मेकर बनने का फैसला किया।
म्यूजिक स्कूल – रचनात्मकता और शिक्षा पर फिल्म
2023 में, पापा राव बियाला की पहली फीचर फिल्म “Music School” रिलीज हुई। इस फिल्म में श्रिया सरन और शरमन जोशी जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में थे। फिल्म की कहानी भारतीय शिक्षा प्रणाली में बच्चों पर पढ़ाई के दबाव और उनकी रचनात्मकता के दमन पर आधारित थी। संगीत और भावनाओं से भरपूर यह फिल्म समाज को एक जरूरी संदेश देती है।
हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी कमाई नहीं कर पाई, लेकिन आलोचकों और दर्शकों ने इसके विषय और प्रस्तुति की जमकर तारीफ की।
फिल्म निर्माण पर पापा राव का नजरिया
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा,
“प्रधानमंत्री की यात्रा या किसी आपदा की योजना बनाना प्रशासनिक रूप से बेहद जटिल होता है। फिल्म बनाना उसके मुकाबले आसान लगता है।”
उनके इस बयान से साफ है कि वे प्रशासन और कला – दोनों क्षेत्रों की गहराई को अच्छी तरह समझते हैं।
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क्या है आगे की योजना?
पापा राव अब पूरी तरह फिल्मों के लिए समर्पित हैं और जल्द ही अपनी अगली फिल्म की घोषणा कर सकते हैं। वे इस समय नई स्क्रिप्ट्स और विचारों पर काम कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
पापा राव बियाला की कहानी यह दिखाती है कि अगर जुनून सच्चा हो, तो कोई भी राह असंभव नहीं होती। उन्होंने IAS जैसी स्थायी और प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और अपनी पहली ही फिल्म से देशभर में पहचान बनाई।
उनकी यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है जो अपने सपनों को जीना चाहते हैं, लेकिन डर या सामाजिक दबाव की वजह से कदम पीछे खींच लेते हैं।