
IAS फौजिया तरन्नुम, जिनका नाम आज लाखों UPSC अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा बन चुका है, अचानक एक विवाद का केंद्र बन गई हैं। तीन बार UPSC परीक्षा पास कर चुकीं फौजिया तरन्नुम ने न सिर्फ अपनी मेहनत से भारतीय प्रशासनिक सेवा में जगह बनाई, बल्कि समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया है। लेकिन हाल ही में एक बीजेपी नेता द्वारा उन्हें “पाकिस्तानी” कहे जाने पर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल मच गई है।
कौन हैं फौजिया तरन्नुम?
फौजिया तरन्नुम एक गरीब लेकिन शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई बहुत ही साधारण संसाधनों के साथ की और एक-एक कदम संघर्ष करते हुए UPSC जैसी कठिन परीक्षा को न सिर्फ एक बार, बल्कि तीन बार सफलतापूर्वक पास किया।
पहली बार उन्होंने UPSC क्लियर कर रेलवे सेवा में पद प्राप्त किया, लेकिन उनका सपना IAS बनने का था। उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और इस बार उन्हें IRS (इनकम टैक्स) मिला। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरे प्रयास में IAS बन गईं।
उनकी यह सफलता कहानी उन हजारों लड़कियों को रास्ता दिखाती है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सपना देखती हैं।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
हाल ही में फौजिया तरन्नुम का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें उन्होंने मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा और समाज में समान अवसर की बात की थी। इसी बयान को तोड़-मरोड़ कर कुछ राजनीतिक लोगों ने पेश किया और एक बीजेपी नेता ने सार्वजनिक रूप से उन्हें “पाकिस्तानी सोच वाली” महिला बता दिया। सोर्स
इसके बाद सोशल मीडिया पर दो वर्गों में बहस शुरू हो गई – एक तरफ वे लोग जो फौजिया की उपलब्धियों को सलाम कर रहे थे, और दूसरी तरफ वे जो उन्हें निशाना बना रहे थे।
सोशल मीडिया पर समर्थन की बाढ़
फौजिया तरन्नुम को लेकर ट्विटर और फेसबुक पर हैशटैग #ISupportFauziaTrannum ट्रेंड करने लगा। कई पूर्व IAS अधिकारियों, शिक्षकों, पत्रकारों और आम नागरिकों ने इस टिप्पणी की आलोचना की और फौजिया के साथ खड़े नजर आए।
IAS अधिकारी रह चुके हर्ष मंदर ने लिखा, “एक महिला जिसने तीन बार UPSC क्रैक किया, क्या हम उसकी राष्ट्रभक्ति पर सवाल उठा सकते हैं?” वहीं, अभिनेत्री स्वरा भास्कर और निर्देशक अनुभव सिन्हा ने भी उनके पक्ष में ट्वीट किया।
फौजिया का जवाब – “मैं भारत की बेटी हूं”
पूरे विवाद पर पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए फौजिया तरन्नुम ने एक भावुक बयान दिया –
“मैंने तीन बार UPSC क्लियर किया, देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया। अगर इतनी मेहनत के बाद भी मुझे ‘पाकिस्तानी’ कहा जाता है, तो यह मेरे लिए नहीं, देश की लाखों बेटियों के लिए अपमान है।”
उनका यह बयान हर उस लड़की के लिए आवाज बन गया जो धर्म, जाति या पहनावे के आधार पर जज की जाती है।
निष्कर्ष
फौजिया तरन्नुम की कहानी सिर्फ एक IAS अधिकारी की नहीं, बल्कि उस भारत की है जो संघर्ष करता है, बढ़ता है और फिर किसी न किसी बहाने नीचा दिखा दिया जाता है। यह विवाद हमें सोचने पर मजबूर करता है – क्या किसी की राष्ट्रभक्ति उसके काम से तय होगी या नाम से?