भौतिकी महान वैज्ञानिक में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी परिचय | Albert einstein biography in hindi

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सदी के सबसे बड़े वैज्ञानिक जिनका नाम जीनियस शब्द का पर्यायवाची माना जाता है, जिन्होने अपनी खोज से पूरी दुनिया को ही बदल कर रख दी। और आज के समय में जितने भी आधुनिक टेक्निकल उपकरण है, जो इन्ही के बनाए फॉर्मूले पर चल रही है।

जिन्होंने भौतिक शास्त्र की दुनिया ही बदल कर रख दी। और जब उनका मृत्यु हुए था तब दकत्रो ने उनके दिमाग पर रिसर्च किया था की ऐसा किया है इनके दिमाग में जो ये इतने बड़े जीनियस थे। तो आइए हम जानते है उसी महान जीनीयस Albert instian biography in hindi के बारे में। 

Albert einstein biography in hindi

 

 

अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी परिचय,albert einstein biography in hindi

अल्बर्ट आइंस्टीन संक्षिप्त परिचय

नाम अल्वर्ट हेर्मनन्न आइंस्टीन
पिता हेर्मनन्न आइंस्टीन
माता पॉलिन कोच
जन्म 14 मार्च 1879
जन्म स्थान उल्म, जर्मनी
उम्र 76 वर्ष
स्कूल कैथोलिक एलिमेंट्री स्कूल मुनिच
कॉलेज स्विस फेडरल पॉलिटेक्निक, जुरिक
पत्नी मालवा मेरिक(पहली पत्नी)
एलीसा आइंस्टाइन (दूसरी पत्नी)
बच्चे हैंस अल्बर्ट आइंस्टाइन,
एडवर्ड अल्बर्ट आइंस्टाइन
नागरिकता जर्मनी, सुजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका
जाती अहुदि
गृहनगर जर्मनी
मृत्यु 18 अप्रैल 1955
 

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म और परिवार (albert einstein birthday and female)

अल्बर्ट आइंस्टीन जन्म 14 मार्च 1879 को विश्व युद्ध के समय जर्मनी के एक छोटे से शहर अलम में एक अहुदी परिवार में हुआ था। उस समय जर्मनी में हिटलर का राज चलता था। उनके पिताजी का नाम हरमन आइंस्टीन जो एक इंजिनियर और सेल्स मैन थे। उनकी मां का नाम पॉलिन कोच आइंस्टीन था।

बचपन में उनका सर नॉर्मल बच्चो से बड़ा था, पर धीरे धीरे उनका सर नॉर्मल साईज में आ गया। और 4 साल की उम्र तक यह नहीं बोलते थे। इस कारण से इनके माता-पिता को टेंशन होने लगा था कि क्या मेरा बेटा गूंगा तो नहीं है। कहा जाता है कि आइंस्टीन ने पहली बार the soup is too hot बोले थे।

अल्बर्ट आइंस्टीन की बचपना (albert einstein childhood)

7 साल की उम्र तक इन्हें भाषा पाकरमें नहीं आती थी। इसीलिए वे सेंटेंस को अपने माइंड में बार-बार दोहराते रहते थे। बचपन में वे अपने पिता के बहुत करीब था। अपने पिता से हमेशा अटपटी सवाल पूछा करते थे। एक बार अल्बर्ट के पिता जी ने उनके जन्म दिन पर एक कंपास गिफ्ट किया था।

उन्होंने पिता जी से पूछा पिता जी ये कंपास की सुई हमेशा हिलती किया रहती  उनके पिता जी ने उन्हे समझाए और तब से आइंस्टीन को भौतिक शास्त्र में रुचि बढ़ने लगा।अल्बर्ट आइंस्टीन के जन्म के एक साल बाद इनका परिवार मंच शहर जाकर रहने लगे।

वहा उनके पिताजी और चाचा जाकोब आइंस्टीन ने मिलकर एक कंपनी शुरू की जिसका नाम Elctrotechnische Fabrik J. Einstein & cie था। और उस समय थॉमस अल्वा एडिसन का दबदबा मार्केट में था, कियोकि उस समय एडिशन ने बल्ब का आविष्कार किया।

1894 में इनकी पिता जी की कंपनी बहुत घाटे में चली गई और कंपनी को बेचना पड़ा। अल्बर्ट के पिताजी एक अच्छे व्यापार की तलाश में जर्मनी से इटली के मिलन शहर या गए। और मिलन में कुछ दिन तक रहे, और बाद में पविया नाम की शहर में जाकर रहने लगे।

अल्बर्ट आइंस्टीन की शिक्षा (albert einstein qualification)

अल्बर्टआइंस्टीन पढ़ने में काफी तेज या कोई टॉपर नही थे। बचपन में तो प्रिंसीपल ने मां को एक चिट्ठी भेजी जिसमे लिखा था। आपका बेटा मंदबुद्धि है, और पढ़ नही सकता। और स्कूल से निकल दिया। तब आइंस्टीन ने पूछा मां मुझे क्यों निकल दिया। मां ने आइंस्टीन को उस चिट्ठी के विपरित बताया की बेटा प्रिसिपल ने कहा की आपका बेटा बहुत जीनियस है, मैं इसे पढ़ा नहीं सकता।

उन्होंने अपनी प्रारंभ शिक्षा 5 साल की उम्र से कैथोलिक एलिमेंट्री स्कूल मुनिच से की और 3 साल बाद प्राइमरी और स्केंड्री स्कूल की पढ़ाई लाउटपोल्ड जिम्नेशियम स्कूल से पूरी जिसका नाम बाल कर वर्तमान में अलबर्ट आइंस्टीन स्कूल रखा है।

अल्बर्ट 12 साल की उम्र में पाइथागोरस थ्योरम का एक अलग ही नियम बना दी और 14 साल के उम्र में ही कैलकुलस, डिफरेंटशिएशन और इंटीग्रेशन जैसे कठिन गणित के विषयो में महारत हासिल कर लिए थे। लेकिन गणित और भौतिकी शास्त्र को छोड़कर और सभी विषयों को पढ़ने में जरा भी इंटरेस्ट नहीं था।

उनका कहना था कि इतिहास विषयों मैं जो डेट होता है उसे हम क्यों पढ़ें या याद रखें, इसका क्या फायदा है। 1894 को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने परिवार के यहां इटली पहुंच गए। 1895 में उन्होंने स्विस फेडरल पॉलिटेक्निक इन जुरीच का इंट्रेस एग्जाम दिए और उसमें भौतिक शास्त्र और गणित को छोड़कर सभी विषयों में हो गए।

उस स्कूल के प्रिंकपेल ने साल दिया की फिर एग्जाम देना तब तक तुम कही और जाकर पढ़ाई करो। उसके बाद उन्होंने अपने फैमली प्रोफेसर जोस्ट विंटलर के घर रहने लगे और वहा  एरोगोवियन सेंट्रल स्कूल इन आर्य  सुजरलैंड में नामांकन करवाए। और वही प्रोफेसर की बेटी से प्यार गया।

1896 मैं उन्होंने फिर से दोबारा एंट्रेंस एग्जाम दिए और फाइनली जुरिच पॉलिटेक्निक में स्लेक्सेशन हो गया। जब यह पहले दिन क्लास गए तो टीचर ने एक साल पूछा पर भी उसका जवाब नहीं दे पाए। तब उसी क्लास की एक लड़की मालवा मेरिक ने जवाब दिया। मालवा मेरिक भी भौतिक शास्त्र की बहुत अच्छी स्टूडेंट थी जो आगे जाकर उनकी पत्नी बनी।

अल्बर्ट आइंस्टीन का विवाह, Albert Einstein marriage

अल्बर्ट आइंस्टीन और मालवा मेरिक की शादी 1903 में हुआ था। जब रिसर्च पेपर बनाया करते थे तो उसमें मालवा मेरिक भी मदद क्या करती थी। वह चाहती थी की यह शोध पेपर जब पब्लिश हो तो उसने मेरा भी नाम हो। लेकिन जब यह पेपर पब्लिश हुआ तो उसमें मालवा मेरिक नाम नहीं था।

और इस वजह से मेरिक डिप्रेशन में चली गई, और दोनों के बीच विवाद बढ़ गया, और दोनों के बीच तलाक हो गया। तलाक से पहले उन्हें दो बेटा था। बड़ा का नाम हंस आइंस्टीन जिनका जन्म मई 1940 में हुआ था। और छोटा बेटा एडवर्ड आइंस्टीन जिनका जन्म जुलाई 1910 को हुआ था।

तलाक के कुछ समय बाद से अल्बर्ट आइंस्टीन अपनी कजन ऐसा लोंथल के बीच उनकी नजदीकियां बढ़ने लगा था। और कुछ समय बाद 1919 में उन्होंने ऐसा से शादी कर लिए। 1936 में किसी कारण बस ऐसा की मृत्यु हो गई। 

अल्बर्ट आइंस्टाइन की प्रारंभिक कैरियर,Albert Einstein career

1900 में ग्रेजुएशन फाइनल करने के बाद उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा था। तो उन्होंने एक क्लर्क की नौकरी की। उसके बाद उन्होंने को पढ़ाना शुरू किए, पढ़े ही सफल नहीं हो पाया। उसके बाद फिर उन्होंने एयरटेल ऑफिस में एक क्लर्क का काम करने लगे जहां उन्हें रिसर्च के लिए काफी समय मिल जाता था।

2 अप्रैल 1921 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर पहुंचे जहां उन्हें कोलंबिया यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने के लिए बुलाया गया था। 1992 में उन्हें law of theoretical physics and electro effect के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया था। नोबेल पुरस्कार के सभी प्राइज मनी उन्होंने अपनी पहली पत्नी मालवा मेरिक को दे दिया। ताकि वे अपने बच्चों का परवरिश ठीक तरह से कर सकें।

1930 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने दूसरी बार अमेरिका गए इस बार वे California institute of technology mein एक रिसर्च अट बनकर काम करने गए थे। 1933 को जर्मनी में हटकर कादर दवा काफी बढ़ गया था। जर्मनी के घर में हिटलर ने कई बार रेट डाला पर आइंस्टाइन नहीं मिले तो हिटलर ने उनके फोटो को लगा कर जगह जगह पर तलाश करने लगा और उस पर $5000 का इनाम दे रखा था और लिखा था एक ऐसा शख्स है जिसे अभी तक फांसी नहीं दिया गया।

उस समय जर्मनी ने आहुति जाति के लिए एक लॉ जारी किया था जिसमें यहूदी कहीं भी गवर्नमेंट जॉब नहीं कर सकते थे ना ही कोई यूनिवर्सिटी में काम कर सकता था। उसके बाद उन्होंने 1935 में जर्मनी छोड़ दिया और अमेरिका चली आए। और 7 साल बाद उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल गई है। अमेरिका के FBI ने जर्मनी का सीक्रेट एजेंट समझकर बहुत दिनों तक परेशान किया। फिर बाद में सब ठीक हो गया।

अल्बर्ट आइंस्टीन का रिसर्च (Albert Einstein research)

अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जीवन काल में 300 से भी अधिक वैज्ञानिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। कुछ रिसर्च में आइंस्टीन की पहली पत्नी मालवा मेरिक ने मदद किया था।

Albert einstein e=mc2

उन्होंने अपने जीवन में कई सारे खोज किए ही पर विश्व विख्यात प्रसिद्ध वैज्ञानिक होने का वजह E=MC²  रहाथा। इस इक्वेशन का खोज उन्होंने 1945 में किया था। E=MC² में परमाणु द्रव्यमान और ऊर्जा का यह समीकरण है जिससे आज परमाणु ऊर्जा और क्लियर ऊर्जा जैसे खतरनाक मिसाइल बनाने में इस फार्मूले का यूज़ होता है।

अल्बर्ट आइंस्टीन के द्वारा प्रकाशित की गई क्वांटम थ्योरी ऊर्जा का एक छोटा सा प्रारूप है चीन की रचना को फोटो कहा जाता है। जिस माध्यम से धातु से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन को समझा जाता है। उसके बाद उन्होंने फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट खिचड़ी प्रकाशित किया। जिसके माध्यम से टेलीविजन का आविष्कार किया गया, आज के युग में कई सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो फोटो इलेक्ट्रॉन इफेक्ट की थड़ी पर आधारित है।

उसके बाद उन्होंने ब्रोवनियन मूवमेंट थ्योरी को प्रकाशित किया। इस खोज को सबसे बड़ी और सबसे अच्छी खोज भी कहा जाता है जिसमें उन्होंने परमाणु के निलंबन जिगजैक मोमेंट की गणना की है। जोकि परमाणुओं के अस्तित्व को प्रमाणित करता हमें

उसके बाद उन्होंने अगली खोज स्पेशल थ्योरी ऑफ रियलिटी  को प्रकाशित किया जैसे गति और प्रकाश के बारे में समझा जा सकता है। आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी इसमें उन्होंने स्पेस में गुरुत्वाकर्षण और द्रव्यमान को बताता है। 1939 में आई स्टैंड ने एटॉमिक बॉम्ब की संरचना में भी उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा।

आइंस्टीन ने एक रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किया था जिसे इन का सबसे छोटा आविष्कार भी माना जाता है इसमें उन्होंने अमोनियम पानी और ब्रिटेन और ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का उत्पन्न कर सके इसलिए उन्होंने बनाया। इसी तरह से उन्होंने कई सारे सवाल पात्र और अविष्कार किए जिस का यूज़ आधुनिक टेक्नोलॉजी उपकरण बनाने में किया जाता है।

अल्बर्ट आइंस्टाइन की रोचक बातें (albert einstein facts)

अल्बर्ट आइंस्टीन अपने प्रोजेक्ट का हल प्रयोगशाला में करने से पहले वह अपने दिमाग में ही सब कुछ कर लिया करते थे।

अल्बर्ट आइंस्टाइन बचपन से कोई टॉपर स्टूडेंट नहीं रहे वह एक मिडिल व के स्टूडेंट रहे उन्हें बचपन से पढ़ने और बोलने में मैं बहुत कमजोर थे।

अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु के बाद एक साइंटिस्ट ने उनके दिमाग को चोरी कर लिया था रिसर्च किया और फिर 20 साल तक एक जार बंद करके रखा था।

अल्बर्ट आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार मिला उन्होंने नोबेल पुरस्कार की प्राइस अपनी पहली पत्नी मालवा मैरिको दे दिया ताकि वे अपनी बेटे की परवरिश अच्छी तरह से कर सकें।

अल्बर्ट आइंस्टाइन को राष्ट्रपति बनने का भी मौका मिला था पर उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिए।

अल्बर्ट आइंस्टीन यूनिवर्स केंट एस एग्जाम में गणित और भौतिक शास्त्र को छोड़कर सभी विषयों में फेल हो गए थे।

अल्बर्ट आइंस्टीन का दांत बहुत कमजोर था वह किसी व्यक्ति के नाम और नंबर आज नहीं रख पाते थे।

अल्बर्ट आइंस्टीन की आंखों को सुरक्षित तरह से एक म्यूजियम में रखा गया है।

अल्बर्ट आइंस्टीन कहा करते थे कि अभ्यास ही सफलता का मूल मंत्र है। 

अल्बर्ट आइंस्टीन का पुरस्कार और सम्मान (Albert Einstein Awards and Honors)

  • 1921 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था
  • 1921 में मत्तयुक्की  मेडल से सम्मानित किया गया था।
  • 1925 में को कोपले मेडल से सम्मानित किया गया था।
  • 1929 में मैक्स प्लांक मेडल से सम्मानित किया गया था।
  • 1999 में शताब्दी टाइम पर्सन पुरस्कार से सम्मानित किया गया

अल्बर्ट आइंस्टाइन की मृत्यु,albert einstein death

जर्मनी में उस समय हिटलर का काफी दबाव बढ़ गया था और अल्बर्ट आइंस्टाइन यहूदी होने के कारण उन्हें जर्मनी छोड़कर अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में आकर रहना पड़ा था। और वहां कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे और वही 18 अप्रैल 1955 में उनकी मृत्यु हो गई

 

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