दोनो पैर और एक हाथ नही फीर भी IAS बने सूरज तिवारी | Suraj tiwari biography in Hindi

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IAS सूरज तिवारी की जीवनी | Suraj tiwari biography in Hindi  

आज हम एक ऐसे सक्स के बारे में बात करने जा रहे है, जिनकी  ट्रेन हादसा में दोनो पैर, दाहिना हाथ और बाएं हाथ की दो उंगली चला गया। और यहां तक की 12th की एग्जाम में फेल भी हो गया था। शारीरिक रूप से असक्षम होने के बावजूद भी उन्होंने भारत के सबसे कठिन एग्जाम भारतीय लोक सेवा आयोग (UPSC) एग्जाम को पास किया। और ऑल इंडिया 917वीं रैंक प्राप्त की और एक सफल IAS ऑफिसर बना। दोस्तों हम इस आर्टिकल में IAS ऑफिसर सूरज तिवारी के बारे में बात करने जा रहे है। 

IAS सूरज तिवारी की जीवनी (Suraj tiwari biography in Hindi)

सूरज तिवारी का जन्म और परिवार जीवन 

IAS सूरज तिवारी की जीवनी | Suraj tiwari biography in Hindi  
सूरज तिवारी की माता

आईएएस अधिकारी सूरज तिवारी का जन्म 17 नवम्बर 1996 को रविवार के दिन उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिला के कुरावली तहसील के धनराजपुर में हुआ था। इनके पिता जी का नामराजेश तिवारी है जो एक कपड़ा सिलाई का काम करते है। माता जी का नाम आशा देवी है। और दो भाई और एक बहन भी है, भाई राहुल तिवारी और राघव तिवारी बहन प्रिया तिवारी है।

IAS सूरज तिवारी की जीवनी | Suraj tiwari biography in Hindi  
सूरज तिवारी के पिता

सूरज तिवारी का शिक्षा 

सूरज तिवारी का प्रारंभिक शिक्षा महर्षि परशुराम पब्लिक स्कूल, कुरावली, उत्तर प्रदेश से पुरी की। उसके बाद 10th और 13th की पढ़ाई एसबीआरएल वैश्य रेजिडेंशियल एजुकेशन पब्लिक एकेडमी मणिपुर से पूरी की। उसके बाद साइंस से स्नातक की पढ़ाई के लिए स्वामी संपूर्णानंद आईसीएमएस मणिपुर से स्नातक की डिग्री पूरी की। उससे बात आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से रूसी भाषा में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

सूरज तिवारी का केरियर

सूरज तिवारी का जन्म आर्थिक रूप से बहुत कमजोर परिवार में हुआ था। और उनके पिता घर के खर्च नहीं उठा पाए थे इसलिए दोनों भाई भी कॉरपोरेट कंपनी में काम करने के लिए जाने लगे और वहां उन्हें 12000 प्रति माह वेतन दिया जाता था। जिससे उनका घर चलता था।  

सूरज तिवारी का ट्रेन दुर्घटना

IAS सूरज तिवारी की जीवनी | Suraj tiwari biography in Hindi  

सूरज तिवारी ने अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए। और जब 24 जनवरी 2017 को दिल्ली से अपने घर वापस आ रहे थे, तो यात्रा के दौरान फिसल कर पर पटरियों पर जा गिरे। गाजियाबाद में हुई इस दुर्घटना में उनका दोनों पैर और दया हाथ और बया हाथ की दो उंगली कट गया। 

उन्हें तुरंत एम्स ट्रामा सेंटर ले जाया गया। जहां उनका इलाज लगातार चार महीना तक चला रहा। उन्हें इलाज के बाद यह ज्ञात हुआ कि उनके दोनों पैर और दाहिने हाथ कोहनी तक और बाएं हाथ की दो उंगली कट है। उन्होंने बताया कि इस इलाज में कुल 20 लख रुपए खर्च हुए हैं, जिसमें जिसमें उनके पिता ने 14 लख रुपए का कर्ज लिया था। और बाकी के पैसे परिवारों की मदद से पूरा किया गया था। 

सूरज का मुलाकात अक्षांश गुप्ता से

इस दुर्घटना के बाद वह अपने आप को अपने परिवार पर एक बोझ समझने लगे थे। उन्हें ऐसा लगने लगा था कि ऐसे जिंदगी जीने से तो बेहतर है मर जाना। पर इसी दौरान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र अक्षांश गुप्ता से मुलाकात होती है। जिन्हे सेरेब्रल पाल्सी था। 

अक्षांश में ही उन्हें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने की सलाह दी। और उन्होंने तैयारी करने के लिए किताबें भी लाकर दी। अक्षांश गुप्ता से मिलने के बाद उन्हें जिंदगी में कुछ उम्मीद का किरण जागी। 

सूरज तिवारी के भाई का रोड एक्सीडेंट में मौत

अभी वह दुर्घटना और अवसाद से उभर ही थे कि उनके जीवन में एक और बाधा आ गई। उनके पिता बीमार पड़ गए थे जिन्हे सर्जरी करवानी पड़ी। सबसे बड़ी बाधा तो जवा आई तब 25 में 2017 को उनके बड़े भाई राहुल की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इस दुर्घटना के बाद तो वह और ज्यादा टूट गए और अपने पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे थे। जिस कारण वह पहले प्रीलिम्स एक्जाम पास नहीं कर पाए।

उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि भाई का एक्सीडेंट में मृत्यु होने के बाद पूरी तरह से हताश हो गए थे और और मैं जीने की इच्छा खत्म हो चुकी थी। और वह जीना नहीं चाहते थे पर उन्होंने कहा कि मैं तो इस लायक भी नहीं हूं कि मैं अपने आपको मर सकूं। फिर उन्होंने के लिए अपने आप को संभाला। 

सूरज तिवारी ने जेएनयू प्रवेश परीक्षा किया पास

उसके बाद उन्होंने भारतीय लोक सेवा आयोग यूपीएससी परीक्षा की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने लगे। कुछ समय बाद उन्हें जेएनयू के बारे में पता चला जो साल में दो बार प्रवेश परीक्षा मैं और दिसंबर में आयोजित करती है। फिर 3 महीने तैयारी करने के बाद दिसंबर 2021 के प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए। और इस परीक्षा में भी सफल हुए। 

जेएनयू मैं दाखिला लेने के बाद हर महीने छात्रवृत्ति के रूप में ₹2500 और एस्कॉर्ट भारती के रूप में हर महीने ₹2500 मिलते थे। हॉस्टल में हुए कभी-कभी अपना फेस नहीं भर पाए थे लेकिन वहां के छात्र और शिक्षक इसमें मदद किया करते थे। वह कहते देखिए यह विश्वविद्यालय मेरे लिए एक स्वर्ग है, इसने मुझे वह सब कुछ दिया जो मुझे चाहिए था। और आज मैं जो कुछ भी हूं वह जेएनयू वजह से हूं।

सूरज ने UPSC पास कर बने IAS 

उसके बाद उन्होंने साल 2022 में यूपीएससी का एग्जाम दिए जिसमें उनका मेंस प्रीलिम्स और इंटरव्यू तीनों बहुत अच्छा रहा था। जब इस परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। तो इसमें इनका ऑल इंडिया 917वीं रैंक हासिल हुई थी। यह खुश खबरी सुनकर उनके परिवार वाले फूले नहीं समा रहे थे। उनके परिवार वालो का खुशी का कोई ठिकाना नहीं।

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