सुब्रमण्यम जयशंकर की जीवनी परिचय | S. Jaishankar biography in Hindi

सुब्रमण्यम जयशंकर की जीवनी परिचय, S. Jaishankar biography in Hindi

सुभ्रमण्यम जयशंकर, जिन्हें एस जयशंकर के नाम से जाना जाता है, भारत के वर्तमान राजनयिक और विदेश मंत्री हैं। उन्होंने अपनी लम्बी सेवा कार्यकाल में भारत के विदेश नीति को सफलतापूर्वक प्रभावित किया है। उन्होंने भारत के विदेश राजनीति में बड़ी भूमिका निभाई है और उनकी डिप्लोमेटिक क्षमताओं और अनुभव से भारत को विश्व में ऊँची स्थिति पर लाने में विशेष योगदान है।

सुब्रमण्यम जयशंकर की जीवनी परिचय | S. Jaishankar biography in Hindi

सुब्रमण्यम जयशंकर की जीवनी परिचय (S. Jaishankar biography in Hindi)

संक्षप्त परिचय

नाम (Name)सुब्रह्मण्यम जयशंकर
जन्म तारीख (Date of birth)9 जनवरी 1955
पेशा (profession) राजनेता, पूर्व आईएएस अधिकारी
जन्म स्थान (Place of born)नई दिल्ली
उम्र( Age)69 साल (2023)
स्कूल (School )वायु सेना केंद्रीय विद्यालय, नई दिल्ली
कॉलेज (Collage )• सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली
• जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली
शैक्षिक योग्यता (qualification)स्नातक, M.A
कद (Height )5 फ़ीट 5 इंच
आँखों का रंग (Eye Color)काला
बालो का रंग( Hair Color)स्लेटी
नागरिकता(Nationality)भारतीय
धर्म (Religion)हिन्दू
जाति (Cast )ब्राह्मण
राजनीतिक दल (Political Party)भारतीय जनता पार्टी (BJP)
कार्य (Service)भारत के विदेश मंत्री
वैवाहिक स्थिति (Marital Status)  विवाहित
गृहनगर (Hometown)नई दिल्ली
सैलरी (Salary )रु.1 लाख + अतिरिक्त भत्ते
(कैबिनेट मंत्री के रूप में)

एस जयशंकर का जन्म और प्राम्भिक जीवन

जयशंकर का जन्म 9 जनवरी 1955 को नई दिल्ली में एक पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके के सुब्रह्मण्यम है जो भारतीय राजनीति मामलों में विशेष सल्लागार रह चुके हैं और एक आईएएस ऑफिसर भी है।

और उनके माता जी का नाम सुलोचना सुब्रमण्यम है। वे तीन भाई हैं एक भाई संजय सुब्रमण्यम जो एक इतिहासकार है। दूसरा यश विजय कुमार है जो पूर्व ग्रामीण विकास सचिव है। उनके पिताजी 80 साल की उम्र में साल 2020 में उनका देहांत हो गया था।

एस जयशंकर का शिक्षा

सुप्रीम नियम जयशंकर की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के वायु सेना केंद्रीय स्कूल से पूरे किए। उसके दिल्ली के सेंट जॉसफ कॉलेज से शुरू किया। उन्होंने वहां बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी) में अपना स्नातक पढ़ाई पूरी की। उन्होंने अपने बैचलर के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से मास्टर्स ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (एमए) की पढ़ाई की थी।

जयशंकर ने अपनी शिक्षा के साथ-साथ अपने आगे के करियर के लिए भी काफी समय निकाला। उन्होंने 1981 से 1995 तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर काम किया था। और उन्होंने 1993 से 1995 तक उप उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया था।

जयशंकर ने अपने व्यावसायिक करियर के दौरान अपनी शिक्षा को भी जारी रखा। उन्होंने 2006 से 2007 तक हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में स्वास्थ्य विपणन और नेतृत्व विकास के क्षेत्र में अध्ययन किया था।

एस जयशंकर का विवाह और बच्चे

आपको बता दें कि एस जयशंकर ने दो शादी की थी और दोनों लव मैरिज था। उनकी पहली पत्नी एक कॉलेज फ्रेंड थी उनका नाम शोभा था। शादी के कुछ दिन बाद शोभा की कैंसर के कारण मृत्यु हो गया। उसके बाद कुछ समय बाद उन्होंने एक जापानी मूल की लड़की से विवाह किए जिनका नाम क्योको जयशंकर है। उनके तीन बच्चे भी हैं। दो बेटा धूप जयशंकर और अर्जुन जयशंकर और एक बेटी मेघा जयशंकर है।

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एस जयशंकर श्रुआती केरियर

एस जयशंकर ने अपनी करियर की शुरुआत 1977 में फॉरेन सर्विस के एक अधिकारी के रूप में की। उन्होंने अपना पहला डिप्लोमेटिक मिशन मॉस्को में किया था, जहां उन्हें भारत के दूसरे सचिव (पोलिटिकल) के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने रूसी भाषा में मास्टर कोर्स पूरा करके रूस में अपनी पढ़ाई की।

जयशंकर ने फिर अपना दूसरा मिशन त्रिपोली, लीबिया में संभाला, जहां उन्हें अपने देश के निर्देशक (वित्त और अर्थ) के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने इस मिशन में 3 वर्ष तक काम किया। उन्होंने विशेष रुप से अरब-इस्राइल संबंधों के बीच सुलझाव और भारत के लिए लीबिया से ऊर्जा संबंधों को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई।

जयशंकर ने अपनी डिप्लोमेटिक करियर में विभिन्न स्तरों पर कई ज़िम्मेदारियों को संभाला। उन्होंने वर्ष 2000 में हाई कमीशनर (ब्रिटेन) के रूप में अपने कैरियर का एक बड़ा मुड़ान्त लिया।

उन्होंने ब्रिटेन में अपनी सेवाएं 4 वर्षों तक निभाईं और फिर उन्हें भारत के राष्ट्रपति श्रीकृष्ण देवराज और प्रधानमंत्री आटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नामित किया। इस मंच पर उन्होंने अपनी दक्षता का परिचय दिया और भारतीय राजनीति के कुशल नेता के रूप में एक नई पहचान बनाई।

उन्होंने भारतीय विदेश नीति के कई मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जैसे कि अमेरिका और चीन के साथ संबंध, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत विभिन्न देशों के साथ संबंध। उन्होंने भारत के साथ संबंध बढ़ाने के लिए विभिन्न विदेशी दूतों से संपर्क किया।

उन्होंने भारतीय विदेश नीति में अपनी योगदान को सुनिश्चित करने के लिए भी काम किया। उन्होंने भारत की विदेश नीति को सुधारने के लिए नई पहचान बनाई और भारत को विश्व मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में बनाया।

एस जयशंकर का राजदूत रखने का रिकॉर्ड

जयशंकर ने विदेश मंत्री के अलावा भारत के विभिन्न देशों में राजदूत के रूप में भी काम किया है। उन्होंने रूस, चीन, सिंगापुर और अमेरिका जैसे देशों में भारत के राजदूत के तौर पर कार्य किया है।

जयशंकर के राजदूत रखने का रिकॉर्ड भी बेहद उत्कृष्ट है। उन्होंने चीन में भारत के राजदूत के तौर पर काम करते हुए वहां के भारतीय समुदाय की मदद की और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए काम किया। उन्होंने सिंगापुर में भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच व्यापार और संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।

जयशंकर के राजदूत रखने का रिकॉर्ड उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें एक सफल और प्रभावशाली राजनयिक के रूप में बनाया।

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एस जयशंकर विदेश सचिव के रूप में

जयशंकर विदेश सचिव के तौर पर भी काम कर चुके हैं। उन्होंने 2015 से 2018 तक भारत के विदेश सचिव के रूप में काम किया था। उनका काम भारत के विदेश मामलों के संबंध में राजनीतिक नीति और रणनीति के तर्कों के समाधान को निर्धारित करना था।

जयशंकर विदेश सचिव के रूप में काम करते समय, उन्होंने भारत की विदेश नीति के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियों को बनाया और संभाला। उन्होंने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, संयुक्त राष्ट्र संघ और अरब-इसराइल संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए।

उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजनाथ सिंह, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तंग तनाव भरे मामलों को संभाला था। जयशंकर विदेश सचिव के रूप में भी अपने कार्यकाल के दौरान काफी सफलता हासिल की थीं।

एस जयशंकर विदेश मंत्री के रूप में

जयशंकर ने 2018 में भारत के विदेश मंत्री के रूप में शपथ ली और उन्हें उनकी विदेश नीति के लिए प्रशंसा मिली। उन्होंने अपने पदभार संभालते ही भारत की विदेश नीति में नये दिशानिर्देश दिए और उसे और सुदृढ़ बनाने का काम शुरू किया। उन्होंने विभिन्न देशों में दौरे किए और भारत की विदेश नीति के लिए नए संबंध बनाए।

जयशंकर ने अमेरिका, चीन, रूस, जापान, इस्राइल, इरान और अरब संघ के साथ भारत के संबंधों को मजबूत किया। उन्होंने भारत की विदेश नीति में नए आयाम जोड़े जैसे कि नागरिकता संबंधी मुद्दे, विपणन और आर्थिक सहयोग।

उन्होंने कई महत्वपूर्ण दौरे किए जैसे कि अमेरिका के साथ 2+2 डायलॉग, चीन के साथ उच्च स्तरीय सम्मेलन, इस्राइल और पलेस्टाइनियन क्षेत्र में दोनों के संबंधों के लिए उच्च स्तरीय सम्मेलन। जयशंकर ने भी विदेश मंत्रालय की व्यवस्था को बदलने का काम किया।

एस जयशंकर महत्वपूर्ण जानकारियां

  • जयशंकर ने 1977 में भारतीय फौज में शामिल होने का फैसला किया और 1978 में अफसर के रूप में शामिल हुए। उन्होंने भारत-चीन सीमा पर अपनी सेवाएं दी।
  • जयशंकर ने भारत के विदेश सचिव के रूप में काम किया और उन्होंने भारत की विदेश नीति में बड़े बदलाव किए।
  • जयशंकर ने भारत की विदेश नीति के लिए कई सुधार किए जैसे कि भारत के संबंधों को मजबूत बनाने के लिए नए दृष्टिकोण जोड़ने का काम।
  • जयशंकर ने कई महत्वपूर्ण दौरों में भाग लिया जैसे कि अमेरिका, चीन, रूस, जापान, इस्राइल, इरान और अरब संघ के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए।
  • जयशंकर ने 2015 से 2018 तक भारत के उच्चाधिकारी के रूप में काम किया। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • जयशंकर को 2019 में भारत के विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने भारत की विदेश नीति को अपने दौर में और भी मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए।
  • जयशंकर ने अमेरिका के साथ बड़ी डीलों पर हस्ताक्षर किए जैसे कि कार्तव्य परिवर्तन और डील्स ऑन व्हील्स के संबंध में।
  • जयशंकर ने चीन के साथ भारत-चीन सीमा मामलों को संभालने के लिए विभिन्न संवादों का आयोजन किया।
  • जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को सुधारने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने पाकिस्तान के साथ जारी जंग को संभालने के लिए कड़ी मेहनत की।
  • जयशंकर ने इरान के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए कई संवाद और डील्स की बातचीत की।

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