रक्षा बंधन क्यों और कैसे मनाया जाता है और इतिहास किया है | Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai

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रक्षा बंधन का महत्व और इसकी शुरुआत क्यों हुई, इसका परिचय देते हैं। रक्षा बंधन जल्द ही आने वाला है और यह खबर सुनकर बहनों की आँखों में खुशी छाई जाती है। यह बंधन भाई-बहन का विशेष रिश्ता होता है, जिसका अर्थ शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल होता है। इस पवित्र रिश्ते का सम्मान पूरी दुनिया में किया जाता है।

कई लोगों को शायद यह नहीं पता कि रक्षा बंधन का महत्व क्या है और यह कैसे मनाया जाता है। भारत जिसे संस्कृतियों की जननी माना जाता है, उसने इस रिश्ते को विशेष महत्व दिया है। इसका महत्व इतना अधिक है कि यह एक विशेष त्योहार के रूप में मनाया जाता है। रक्षा बंधन को “Raksha Bandhan” के नाम से जाना जाता है और यह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो कि अक्सर अगस्त महीने में आता है। 

रक्षा बंधन क्यों और कैसे मनाया जाता है और इतिहास किया है | Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai

रक्षा बंधन क्यों और कैसे मनाया जाता है और इतिहास किया है (history of Raksha Bandhan )

नामरक्षा बंधन
अन्य नामराखी, सालूनो, सिलोनो, रकरी
प्रकारहिन्दू, जैन, सिख
महत्वभाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक
तिथिश्रावण मास की पूर्णिमा
पूजा विधिसुंदरकाण्ड, हनुमान चालीसा, हनुमान-राम-सीता की पूजा, सिंदूर, पुष्प, चना, गुड़, नारियल, बेसन के लड्डू, घी का दीपक, आरती
आवृत्तिसालाना
2023 तारीख30 अगस्त (प्रदोष काल) या 31 अगस्त (सूर्योदय से पहले)

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है (Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai)

रक्षा बंधन का महत्व उसके द्वारा भाई-बहन के साथीत्व की महत्वपूर्णता को प्रकट करने में है। यह पर्व भाई के लिए अपनी बहन की रक्षा करने का प्रतिबद्धता प्रकट करता है। यह त्योहार केवल सगे भाई-बहन के बीच ही नहीं, बल्कि उन सभी पुरुष और स्त्री के लिए भी है जो इस पर्व की महत्वपूर्णता को समझते हैं।

इस दिन, बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है और ईश्वर से उनके भाई की खुशियाँ और स्वास्थ्य की प्रार्थना करती हैं। विपरीत, भाई अपनी बहन को तोहफे की पेशकश करता है और शपथ लेता है कि चाहे कुछ भी हो, वह अपनी बहन की रक्षा करेगा।

साथ ही, वह भी देवी से अपनी बहन के लिए दीर्घायु और शांति की कामना करता है। इस पर्व की विशेषता यह है कि यह किसी भी व्यक्ति द्वारा मनाया जा सकता है, चाहे वह सगे भाई-बहन हो या न हो। इससे आपको यह समझने में मदद मिल सकती है कि रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है।

रक्षा बंधन क्या है 

रक्षा बंधन का अर्थ होता है “रक्षा प्रदान करने वाला बंधन”। इसे संस्कृत भाषा के शब्दों से मिलाकर बनाया गया है – “रक्षा” और “बंधन”। इन दोनों शब्दों का मिलान एक खास भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। यहाँ पर “रक्षा” का मतलब सुरक्षा प्रदान करना होता है और “बंधन” का मतलब होता है एक बंधन जो सुरक्षा प्रदान करे। इन शब्दों का मिलन एक भाई-बहन के विशेष रिश्ते की प्रतीकता करता है। यह प्रतीक खून के रिश्तों को ही नहीं, बल्कि एक पवित्र बंधन को भी दर्शाता है। रक्षा बंधन एक खुशियाँ भरने वाला त्योहार होता है और यह भाइयों को यह याद दिलाता है कि उन्हें हमेशा अपनी बहनों की रक्षा करनी चाहिए। रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है, जो घर में खुशियाँ लाता है। इसके साथ ही, यह त्योहार भाईयों को याद दिलाता है कि उन्हें अपनी बहनों की हमेशा रक्षा करनी चाहिए।  

रक्षा बंधन के लिए शुभ मुहूर्त 

 राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और पांचांग आपके बताए गए दिन, 30 अगस्त 2023 को रात 09:01 से 31 अगस्त की सुबह 07:05 तक है। इस समय बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं, चाहे वो सुबह हो या शाम। रक्षा बंधन के इस पावन मौके पर आपकी बहन और भाई के बीच और भी अधिक गहराई और मजबूती का प्रतीक बनेगा। 

 रक्षा बंधन कैसे मनाते है

रक्षाबंधन का उत्सव मनाने के लिए कुछ विशेष रीति-रिवाज़ होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है। निम्नलिखित है:

1. शुभ दिन का चयन: रक्षाबंधन का त्योहार विशेष मुहूर्त में मनाने का आदर्श है। आपके बताए गए दिन, 30 अगस्त 2023 को, रात 09:01 से 31 अगस्त की सुबह 07:05 तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है।

2. अभिनंदन और स्नान: त्योहार के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाना चाहिए, जिससे आत्मा और शरीर शुद्ध हो। फिर पूजा के लिए भगवान की उपासना की जाती है और घर को साफ-सफाई से तैयार किया जाता है।

3. राखी सजाने की विधि: रक्षाबंधन के दिन, राखी की थाली को सजाने का प्रारंभ किया जाता है। इस थाली में राखी, चंदन, दीपक, कुमकुम, हल्दी, चावल के दाने, नारियेल और मिठाई रखी जाती है।

4. राखी बांधने की विधि: बाहर बैठे भाई को आपके बुलाने के बाद, उन्हें आराम से बैठने के लिए कहें। फिर शुरू होती है राखी बांधने की विधि। सबसे पहले थाली के दीये को जलाते हैं और बहन भाई के माथे पर तिलक चन्दन लगाती है। फिर भाई की आरती करती हैं।

5. मन्त्रों का उच्चारण: राखी बांधने के बाद, आपको विशेष मन्त्रों का उच्चारण करना चाहिए, जो दोनों भाई और बहन के बीच एक मजबूत बंधन बनाए रखने का संकेत होते हैं।

6. भेंट देना: राखी बांधने के बाद, भाई को आपकी भेंट प्रदान करें, जो उन्हें आपकी प्रेम और आशीर्वाद की ओर संकेतित करती है।

इस विशेष मोमेंट में, बहन और भाई का प्यार और साथ होते हुए इस रिश्ते को मजबूती से मनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

रक्षा बंधन का इतिहास 

 रक्षा बंधन का इतिहास बहुत पुराना है। यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें धनी-गरीब, सभी लोग उत्सव का हिस्सा बनते हैं। लेकिन राखी का इतिहास भी हिंदी की दुनियाँ में एक विशेष जगह रखता है, और यह कहानियाँ बहुत ही प्रसिद्ध हैं, जो दंतकथाओं में सुनाई जाती हैं। चलिए, हम देखते हैं कि रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई।

1. सम्राट Alexander और सम्राट पुरु

   सन 300 BC में रखी की प्राचीन कहानी है, जब Alexander ने भारत पर आक्रमण किया। सम्राट पुरु ने उनके खिलवाड़े में आगे नहीं हटा। Alexander की पत्नी ने उन्हें रक्षा बंधन की राखी भेजी, जिससे उन्होंने हमला नहीं किया।

2. रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ

   रानी कर्णावती ने अपने राज्य को बचाने के लिए सम्राट हुमायूँ की मदद के लिए रक्षा बंधन का उपयोग किया। हुमायूँ ने उनकी मदद के लिए अपनी सेना की मदद की, जिससे रानी कर्णावती की जीत हुई।

3. इन्द्रदेव की कहानी

   भविष्य पुराण में बताया गया है कि असुर राजा बाली के आक्रमण पर इंद्र के हाथों दिक्कत हुई। इंद्र की पत्नी ने धागा दिया और इंद्र ने राखी बांधकर बाली को पराजित किया।

4. माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी

   भगवान विष्णु ने भक्त बाली के राज्य की रक्षा की थी, जिसके बदले में बाली ने भी अपनी पत्नी की रक्षा के लिए राखी दी थी। माता लक्ष्मी ने भी उन्हें उपहार दिया और बाली को उनके राज्य की रक्षा करने के लिए मदद की।

5. कृष्ण और द्रौपधी की कहानी

   कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की थी जब उसका चीर हरण होने वाला था। उन्होंने उसे अपने वस्त्र से बचाया और उनके बीच एक भाई-बहन का रिश्ता बनाया।

6. महाभारत में राखी

   महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण ने युद्ध से पहले युधिष्ठिर को रक्षा बंधन की सलाह दी और द्रौपदी ने कृष्ण के हाथ में राखी बांधी।

7. संतोधी माँ की कहानी

   गणेश देव के पुत्रों को बहन की कमी महसूस हुई, और उन्होंने भगवान् गणेश से राखी में अपनी माँ को वापस चाहिए था। गणेश ने अपनी शक्ति से संतोषी माँ को उत्पन्न किया और बहन प्राप्त हुई।

8. यम और यमुना की कहानी

   यम और यमुना की एक लोककथा के अनुसार, मृत्यु देवता यम ने अपनी बहन यमुना के पास बहुत समय नहीं बिताया, लेकिन उसके बाद गंगा माता के परामर्श से यम ने यमुना के पास जाने का निश्चय किया।

9. 1905 का बंग भंग और रविन्द्रनाथ टैगोर

   बंग भंग आंदोलन के समय, रविंद्रनाथ टैगोर ने लोगों के बीच एकता बढ़ाने के लिए रक्षा बंधन का पर्व मनाया, जिससे देश भर में एकता की भावना उत्तेजित हुई।  

भारत के अन्य प्रांतों में रक्षाबंधन का आयोजन कैसे किया जाता है?

भारत के विविध प्रांतों में रक्षाबंधन का आयोजन अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। भारत की विविधता के चलते, यह त्योहार विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है। निम्नलिखित है कुछ प्रांतगत रूप, जिनमें रक्षाबंधन का महत्व अलग ढंग से प्रकट होता है:

1. पश्चिमी घाटों में रक्षाबंधन

पश्चिमी घाटों में रक्षाबंधन को भगवान वरुण के सन्मान में मनाया जाता है, जिन्हें समुंद्र के देवता माना जाता है। यहाँ पर वरुण जी को नारियल अर्पित किया जाता है और नारियल को समुंद्र में डाल दिया जाता है। यह राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

2. दक्षिण भारत में रक्षाबंधन

दक्षिण भारत में यह त्योहार “अवनी अभिषेक” भी कहलाता है और यह ब्राह्मण समुदाय के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस दिन ब्राह्मण व्यक्तियों को अपने पवित्र जनेयु (धागा) को बदलते हैं, और मन्त्रों के साथ स्नान करके अपने जीवन को शुद्ध करते हैं। इसे श्रावणी या ऋषि तर्पण भी कहते हैं।

3. उत्तरी भारत में रक्षाबंधन

उत्तरी भारत में रक्षाबंधन को “कजरी पूर्णिमा” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खेतों में गेहूं और अन्य अनाज बिछाये जाते हैं और माता भगवती की पूजा की जाती है, जिससे अच्छी फसल की कामना की जाती है।

4. गुजरात में रक्षाबंधन

गुजरात में लोग पवित्र मास श्रावण के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर पानी चढ़ाते हैं। इस दिन वे रुई को पंचामृत में भिगोकर शिवलिंग पर बांधते हैं और इसे “पवित्रोपन्ना” कहते हैं।

इस प्रकार, भारत के विभिन्न प्रांतों में रक्षाबंधन को विशेष रूपों में मनाया जाता है, जिनमें स्थानीय परंपराएँ और संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

ग्रंथों के अनुसार रक्षा बंधन का महत्व 

रक्षाबंधन का महत्व वास्तव में अत्यधिक होता है। इस त्योहार में भाई-बहन का प्यार एक अद्वितीय रूप से प्रकट होता है, जिसे आप किसी अन्य त्योहार में नहीं देख सकते। भारतीय संस्कृति में यह परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे श्रावण पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का महत्व इसलिए अद्वितीय है क्योंकि इस दिन बहन अपने भाई के हाथों में राखी बांधकर उससे अपने सुरक्षा की प्रतिज्ञा लेती हैं। वहीं, भाई का यह कर्तव्य होता है कि वह किसी भी परिस्थिति में अपनी बहन की रक्षा करें। यह त्योहार अनूठा होता है और यह आपको दुनियाभर में कहीं और नहीं मिलेगा।

राखी का त्योहार श्रावण मास के महीने में आता है, जब गर्मी के बाद बरसात होती है, समुद्र भी शांत होता है और प्राकृतिक वातावरण भी मनमोहक होता है। इस महीने किसानों, मछुआरों और समुद्र-यात्रिकों के लिए भी विशेष महत्व रहता है। रक्षाबंधन को “नारियली पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के समुद्रतटों पर। इस दिन, वर्षा के देवता इंद्र और समुद्र के देवता वरुण की पूजा की जाती है, और देवताओं को नारियल अर्पित किया जाता है जिससे खुशियों की कामना की जाती है।

राखी के दिन नारियल को समुद्र में डाला जाता है या किसी अन्य जल स्रोत में। लोगों का मानना है कि भगवान श्रीराम ने भी माता सीता को छोड़ने के लिए इसी दिन अपनी यात्रा प्रारंभ की थी। उन्होंने बड़े पत्थरों से समुद्र पार किया, जिसे वानर सेना ने बनाया था। नारियल के ऊपरी भाग में तीन छोटे गड़डे होते हैं, जिन्हें प्रभु शिवजी के रूप में माना जाता है।

मछुआरे भी इस दिन से मछली पकड़ने की शुरुआत करते हैं, क्योंकि इस समय समुद्र शांत होता है और उन्हें पानी में जाने में कोई भी खतरा नहीं होता है।

किसानों के लिए यह दिन “कजरी पूर्णिमा” होता है, जब वे अपने खेतों में गेहूं की बीज बोते हैं और भगवान से अच्छी फसल की प्रार्थना करते हैं। यह दिन ब्राह्मण समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण होता है, जब वे अपने जनेयु को बदलते हैं और मन्त्रों का उच्चारण करते हैं। इसके बाद, वे आपस में नारियल से बनी मिठाई खाते हैं।

FAQ

Q : राखी 2023 में कितनी तारीख को है ?

Ans : 30 अगस्त 2023

Q : इस साल राखी बंधने का शुभ मुहूर्त कितने बजे का है ?

Ans : 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे से 31 अगस्त को sam 7:05 बजे तक का है।

Q : रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है ?

Ans : हिंदू धर्म के कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

Q : रक्षाबंधन का इतिहास कितने साल पुराना है ?

Ans : इसके पीछे कई साल अलग अलग कहानियाँ है, इसलिए यह कहना बहुत मुश्किल है कि यह कितने साल पुराना है।

Q : रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाते हैं ?

Ans : बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को उपहार देकर मानते है।

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