
भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई (Rajiv Ghai) वर्तमान में सेना के सबसे महत्वपूर्ण पदों में से एक – सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के रूप में कार्यरत हैं। अपने 33 वर्षों के शानदार सैन्य करियर में उन्होंने जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी अभियानों, युद्ध रणनीति, और उच्च स्तरीय सैन्य संवाद की जिम्मेदारी संभाली है। ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति हो या भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव को नियंत्रित करने की कूटनीति – लेफ्टिनेंट जनरल घई का योगदान उल्लेखनीय है।
राजीव घई प्रारंभिक जीवन और शिक्षा | Rajiv Ghai early life & education
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), देहरादून से अपनी सैन्य शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 1989 में उन्हें कुमाऊँ रेजिमेंट में कमीशन दिया गया। शुरुआती दौर से ही उन्होंने अनुशासन, रणनीतिक कौशल और नेतृत्व क्षमता के गुण दिखाए, जिसने उन्हें एक तेज़ और जिम्मेदार सैन्य अधिकारी के रूप में स्थापित किया।
राजीव घई का सैन्य करियर की शुरुआत | Rajiv Ghai military career started
अपने करियर के शुरुआती वर्षों में ही राजीव घई ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने एक बटालियन, ब्रिगेड और फिर डिवीजन की कमान संभालकर साबित किया कि वे ना केवल एक जमीनी योद्धा हैं बल्कि एक रणनीतिक योजना निर्माता भी हैं।
विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने सेना मुख्यालय में सैन्य संचालन निदेशालय में ब्रिगेडियर, पश्चिमी क्षेत्र में बटालियन कमांडर, और उत्तरी सीमाओं पर डिवीजन कमांडर जैसे अहम दायित्व निभाए।
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राजीव घई का चिनार कोर की कमान | Rajiv Ghai takes command of Chinar Corps
DGMO बनने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल घई चिनार कोर (15 कोर) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) के रूप में श्रीनगर में नियुक्त थे। चिनार कोर भारतीय सेना की उन यूनिट्स में से है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए अग्रिम पंक्ति में तैनात रहती है। इस भूमिका में उन्होंने न केवल सैन्य अभियानों की अगुवाई की, बल्कि नागरिक प्रशासन और स्थानीय लोगों के साथ सामंजस्य बनाकर शांति स्थापना की दिशा में भी प्रयास किए।
राजीव घई का DGMO की नियुक्ति | Appointment of Rajiv Ghai as DGMO
वर्ष 2024 में लेफ्टिनेंट जनरल घई को सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के रूप में नियुक्त किया गया। DGMO का पद भारतीय सेना के संचालन और रणनीति की रीढ़ होता है। इस भूमिका में वे भारत के सभी सैन्य अभियानों, युद्ध योजनाओं और रक्षा मंत्रालय के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही वे पाकिस्तान के DGMO के साथ सीमा पर तनाव और युद्धविराम के मुद्दों पर सीधा संवाद करने वाले प्रमुख सैन्य अधिकारी हैं।
DGMO के रूप में उनका कार्यक्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है – जिसमें सीमा की निगरानी, युद्ध अभियान की योजना, आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन, और राष्ट्रीय सुरक्षा पर त्वरित निर्णय लेना शामिल है।
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राजीव घई का ऑपरेशन सिंदूर में नेतृत्व | Rajiv Ghai leadership in Operation Sindoor
7 मई, 2025 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया – जो पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी शिविरों पर केंद्रित एक सर्जिकल स्ट्राइक थी। यह ऑपरेशन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें कई निर्दोष नागरिक मारे गए थे।
इस ऑपरेशन की रणनीति बनाने में लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने खुफिया एजेंसियों, जमीनी बलों और उच्च कमान के साथ मिलकर एक समन्वित योजना बनाई, जिससे लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के मुख्य अड्डों को निशाना बनाया गया। ऑपरेशन में मिली सफलता ने घई के नेतृत्व की दक्षता को प्रमाणित कर दिया।
उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि पाकिस्तानी सेना को इस ऑपरेशन में भारी नुकसान हुआ और भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सैन्य कुशलता को भी प्रदर्शित किया।
राजीव घई ने भारत-पाकिस्तान युद्धविराम वार्ता | Rajiv Ghai held India-Pakistan ceasefire talks
10 मई, 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा हुई, जिसमें DGMO स्तर पर सीधा संवाद हुआ। लेफ्टिनेंट जनरल घई और उनके पाकिस्तानी समकक्ष ने इस युद्धविराम से पहले और बाद में कई बार बातचीत की। इस संवाद का मुख्य उद्देश्य सीमा पर बढ़ते तनाव को कम करना, नागरिक हानि को रोकना और कूटनीतिक समाधान की दिशा में बढ़ना था।
12 मई, 2025 को DGMO स्तर की बैठक में लेफ्टिनेंट जनरल घई भारत की ओर से प्रमुख वार्ताकार थे। उन्होंने सीजफायर की शर्तों पर चर्चा की और पाकिस्तानी सेना द्वारा ड्रोन, गोलीबारी और गुरुद्वारों पर हमलों जैसे उल्लंघनों पर कड़ी आपत्ति दर्ज की।
राजीव घई का पुरस्कार और सम्मान | Rajiv Ghai Aword and achievement
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को उनके अनुकरणीय सैन्य सेवा के लिए उत्तम युद्ध सेवा पदक (UYSM), अति विशिष्ट सेवा पदक (AVSM) और सेना पदक (SM) जैसे शीर्ष सैन्य सम्मान प्राप्त हुए हैं। ये सम्मान भारत सरकार द्वारा उन अधिकारियों को दिए जाते हैं, जो युद्ध और शांति दोनों समय में अत्यंत उत्कृष्ट कार्य करते हैं।
राजीव घई का व्यक्तिगत जीवन और कुल संपत्ति | Personal life and net worth of Rajeev Ghai
हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल घई का निजी जीवन गोपनीय रखा जाता है, परन्तु यह ज्ञात है कि वे एक सैन्य परंपरा वाले परिवार से हैं। उनकी अनुमानित कुल संपत्ति $40,000 (लगभग ₹33 लाख) से अधिक है, जो उनकी सेवा भावना और सादगीपूर्ण जीवनशैली को दर्शाता है।
राजीव घई का उम्र और नेतृत्व कौशल | Rajeev Ghai’s age and leadership skills
45 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई भारत की युवा सैन्य नेतृत्व पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी रणनीतिक सोच, आधुनिक युद्ध कौशल और कूटनीतिक दक्षता ने उन्हें भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों में स्थान दिलाया है। अपेक्षाकृत कम उम्र में DGMO बनने से यह सिद्ध होता है कि उनमें निर्णय क्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा को दिशा देने की पूरी काबिलियत है।
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निष्कर्ष
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई की जीवनी भारतीय सेना में सेवा, बलिदान, नेतृत्व और रणनीति का प्रतीक है। उन्होंने चिनार कोर की अगुवाई करते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी, और अब DGMO के रूप में देश की सीमाओं की सुरक्षा और युद्ध नीति की योजना बना रहे हैं।