भगत सिंह की जीवनी परिचय,bhagat singh biography in hindi, जन्म, परिवार, स्वतंत्रता संघर्ष,मृत्यु

महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का जन्म एक स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में हुआ था, और उनके चाचा जी बहुत बड़े स्वतंत्रता सेनानी रहे थे। बचपन से ही उनका पालन पोषण उन्हीं के बीच हुआ था आसपास के भारतीय लोगों पर अंग्रेजों को अत्याचार करते थे उन्हें बहुत गुस्सा आता था। जिस उम्र में लोग मस्ती मौज करते हैं उस उम्र से वे अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ने लगे थे। उनका कहना यह था हिंसा या अहिंसा किसी भी तरह से अंग्रेजों को हम अपने देश से भाग आएंगे। मात्र 23 साल की उम्र में भगत सिंह ने अपने देश के स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अपना प्राण निछावर कर दी

 

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भगत सिंह के प्रारंभिक जीवन और परिवार (Bhagat Singh starting life and family)

 

स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को पंजाब में लयालपुर जिला के बंगा गांव(वर्तमान में पाकिस्तान का भाग है) के सिख परिवार में हुआ था, जिस दिन इनका जन्म हुआ था उस दिन उनके पिता और चाचा को जेल से रिहा किया गया था, उनके पिताजी और चाचाजी ने वर्ष 1906 लागू किए गए उपनिवेशीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किए थे और इसी कारण से उन्हें गिरफ्तार किया गया था। भगत सिंह के पिताजी का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था, और वे कुल 8 भाई बहन थे

 

भगत सिंह की शिक्षा(Bhagat Singh education)
 

भगत सिंह के प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव की पाठशाला में ही किए, फिर आगे की शिक्षा के लिए नेशनल कॉलेज लाहौर में दाखिला लिए, और उन्हें वहीं पर उनकी मुलाकात सुखदेव और यशपाल से हुआ था, सर्विस से यह तीनों मित्र बन गए और अंग्रेजो के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने लगी

 

 

स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष

 

एक बार भगत सिंह के पिता जी खेतों में आम का बीज बो रहे थे तो उन्होंने अपने पिताजी से पूछा की पिताजी आप आम की गुठली खेतों में क्यों बो रहे हैं। तो उनके पिताजी ने जवाब दिया कि बेटा यह गुठलिया लिया आगे चलकर पैर बनेगी जो हमें फल देगी, इस बात पर उन्होंने कहा कि हम बंदूक बोयेगे जिससे हमें दुगना बंदूक उगेगा, उनके पिताजी ने पूछा कि बंदूक में क्यों चाहिए तो उन्होंने जवाब दिया ताकि अंग्रेजों को अपने देश से भगा सके। जैसे-जैसे भगत सिंह बड़ा होते गए, उनकी असाधारण प्रतिभा दिखाई पडने लगी

जब भगत सिंह का उम्र 12 वर्ष था तब उस वक्त वेयर स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे और जब उन्हें पता चला जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे में 40 किलोमीटर दूर की सफर करके घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां लाशों का ढेर लगा था, और वहां पर एक कुआं था जान बचाने के लिए कितने लोगों ने उस कुएं में छलांग लगा दिया था, कहा जाता है कि आज भी उसी कुएं से पानी निकाला जाता है उसमें रक्त की बूंदे होती हैभगत सिंह ने उस घटनास्थल की रक्त से भीगी मिट्टी को एक बोतल में डाल कर ले आए और वे भगवान की फोटो के साथ रखकर उसका पूजा किया करते थे. एक दिन उनकी बहन ने पूछा की इस बोतल में क्या है, उन्होंने कहा कि इस बोतल में हमारे देश के शहीद लोगों का रक्त से भीगी मिट्टी है, और इसका बदला अंग्रेजों से जरूर लूंगा और उसे अपने देश से भगा दूंगा।

1920 में गांधी जी को हमारे देश वासियों से  बहुत सहयोग मिल रहा था और उस समय वे पॉवरफुल आवाज बन चुके थे, और उनका कहना था की मुझे इसके लिए नही करना है, बिना लरे ही अंग्रेजी को अपने देश से भागा देंगे इसके लिए उन्हों ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, और इससे भगत सिंह गांधी जी से काफी प्रभावित हुए थे और वे भी इस आंदोलन में जुड़ गए। इस समय इनका उम्र 13 साल था।

उन्ही दिनों में बिहार के गोरखपुर जिल में चौरा चौरी कांड हुए था, 1922 में भगत सिंह प्रदर्शनकारियो के साथ मिल  कर प्रदर्शन किया उनका कहना यह था कि विदेशी कपड़े और विदेशी सामान को बहिष्कृत करने की मांग करने लगे तभी एक थानेदार गोपेश्वर प्रसाद आता है और इसे बंद करने को कहता है इससे नाक बंद करने पर थानेदार तीन चार लोगों को गोली मार के हत्या कर देते हैं इससे क्रोधित हो कर लो उस को चला देते हैं जिसमें 17 पुलिसकर्मी जलकर मर जाते हैं जिससे महात्मा गांधी यह आंदोलन को वापस ले लेते है

30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन लागू होने वाला था, भगत सिंह ने साइमन कमीशन को बहिष्कार करने की योजना बनाई। उन्होंने लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में साइमन कमीशन का विरोध किया। और फिर उन्होंने ‘साइमन वापस जाओ’ ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे लगाए, अंग्रेजों की पुलिस ने गुस्से में आकर लाठी चार्ज कर दी, इस घटना के कारण लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। क्रोध में आकर उसी दौरान भगत सिंह ने पुलिस कमिस्नार सांडर्स की हत्या कर दी।

 

 

 

 

 


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